September 2013

Social Icons

September 20, 2013

क्या है कंप्यूटर वायरस और कैसे बचें इसके अटैक से

दोस्तों आज हमारी जिंदगी का अहम् हिस्सा बन चुका है कंप्यूटर और कंप्यूटर अधुरा है जब तक इन्टरनेट न हो और जो लोग इन्टरनेट इस्तेमाल करते है उन्हें कंप्यूटर वायरस से दो - चार होना ही पड़ता है, लेकिन यदि हम जरा सा सतर्कता बरते तो काफी हद तक बचा जा सकता है इस वायरस नाम के बला से, कैसे? आईये जानने का प्रयास करते है|

कंप्यूटर वायरस/मालवेयर एक प्रकार का सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो आपके कंप्यूटर के लिए खतरनाक साब‌ित हो सकता है। इस सॉफ्टवेयर को हैकर्स कंप्यूटर से पर्सनल डाटा चोरी करने के लिए डिजाइन करते हैं।

हैकर्स की भाषा में मालवेयर टर्म का यूज वायरस, स्पाय वेयर और वार्म आदि के लिए किया जाता है। ये तीनों वायरस के ही रूप हैं।

मालवेयर आपकी निजी फाइलों तक पहुंचकर उन्हें दूसरी किसी डिवाइस में ट्रांसफर कर सकता है। इसके जरिए हैकर्स आपकी सूचनाएं, फोटो, वीडियो, बैंक या अकाउंट से जुड़ी जानकारी चुरा सकते हैं।

मालवेयर अटैक के कारण
कंप्यूटर पर मालवेयर अटैक के कई कारण हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह इंटरनेट से की जाने वाली डाउनलोडिंग है। आप जितनी ज्यादा डाउनलोडिंग करेंगे उतना ही ज्यादा मालवेयर का खतरा होता है।

इंटरनेट से हम जो कंटेंट, पिक्चर, वीडियो या गाने आदि लेते है, उनके जरिए मालवेयर के वायरस बड़ी आसानी से हमारे सिस्टम तक आ जाते हैं।

कई बार कंप्यूटर में लगाई जाने वाली रिमूवेबल डिवाइस भी मालवेयर की वजह बन जाती है। यदि आपने ऐसी कोई पेन ड्राइव या मेमोरी कार्ड अपने सिस्टम में लगाया, जिसमें पहले से वायरस है, तो यह आपके सिस्टम के लिए खतरनाक हो सकता है।

वायरस से बचाव के तरीके

  • गानें या पिक्चर आदि की डाउनलोडिंग केवल विश्‍वसनीय वेबसाइट से ही करें। हो सकता है इसके लिए आपको कुछ पैसे देने पड़े लेकिन यह आपके सिस्टम के लिए अच्छा रहेगा।
  • यदि आपके सिस्टम में एंटी मालवेयर या एंटी वायरस नहीं है तो इसे तुरंत इंस्टॉल कराएं।
  • अपने सिस्टम के एंटी वायरस को समय-समय पर अपडेट करते रहें। इससे यह भी पता चलता रहेगा कि एंटी वायरस ठीक काम कर रहा है या नहीं।
  • अपने महत्वपूर्ण डाटा को पासवर्ड से सुरक्षित रखें, ताकि इसे चुराना या हैक करना आसान न हो। जो पासवर्ड आपने सेट किया है, उसमें अंक और अक्षर दोनों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • अपने पीसी में फायरवॉल इंस्टॉल करें। फायरवॉल कंप्यूटर और इंटरनेट के बीच सुरक्षा दीवार की तरह काम करता है। इसे हमेशा ऑन रखें।


दोस्तों यदि आप भी लिखने का शौक रखते है या फिर कोई जानकारी गुल्लक के पाठको तक पहुचाना चाहते है तो आप सादर आमंत्रित है 'गेस्ट पोस्ट' के लिए..

September 07, 2013

क्या है मोबाइल फोन टेक्नोलॉजी GSM, CDMA, 2G, 3G, 4G?

फोन पर नेटवर्क की बात होते ही आजकल 2G, 3G, और 4G की बात होने लगती है. फोन के सिग्नल को रिसीव करने वाले मोबाइल सेटों में भी मॉडल को इससे जाना जाने लगा है.

कभी जीएसएम, सीडीएमए सिग्नल वाले मोबाइल फोन ही लोगों को समझ में आते थे. जीएसएम सिग्नलों वाले मोबाइल की बहार होती थी. सीडीएमए सेट भी लोगों की पसंद बनें. सीडीएमए तकनीक में आपका फोन ही वायरलेस डेटा या सिग्नल का रिसीवर होता है. बाकी फोन्स में इसके लिए सिम की जरूरत पड़ती है.

पहले समझ लेते हैं कि पहले इनके पूरे अर्थ क्या हैं -

जीएसएम: ग्लोबल स्टैंडर्ड फॉर मोबाइल्स (ये एक तकनीक है).

सीडीएमए: कोड डिविजन मल्टीपल एक्सेस (ये भी एक तकनीक है).

2G: जीएसएम सेवा ही बाद में 2G के तौर पर विकसित हुई. जिसमें जीपीआरएस और एज सर्विस (EDGE) के जरिए पैकेट डेटा की सुविधा मिलने लगी. जिससे आप किसी भी मोबाइल पर मेल और इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे. 2G, 3G और 4G सेवा का मतलब है कि आपके फोन पर बातचीत और एसएमएस के अलावा डेटा संबंधित सारी सुविधाओं के लिए डेटा रिसीव करने की तकनीक. G का अर्थ है जेनेरेशन. इसलिए 2जी का ज्यादा विकसित रूप 3जी और इससे ज्यादा उन्नत 4जी.

फोन पर बातचीत की सुविधा के लिए सिग्नल या फ्रीक्वेंसी इस्तेमाल के शुरूआती समय में पीटीटी(पुश टू टॉक) या एमटीएस(मोबाइल टेलीफोन सिस्टम) तकनीक का इस्तेमाल होता था. जब तक एनालॉग सिग्नल पर फोन चलता रहा, तब तक इसे 1G तकनीक के नाम से भी जाना गया. 1G और 2G का मुख्य अंतर था मोबाइल संचार का एनालॉग से डिजीटल होना.

1G तकनीक में गति की सीमा 28 किलोबिट/सेकेंड से 56 किलोबिट/सेकेंड थी. जापान की एनटीटी कंपनी ने 1G को पहली बार व्यावसायिक तौर पर 1979 में लॉन्च किया. 2G यानि सेकेंड जेनेरेशन वायरलेस टेलीफोन टेक्नोलॉजी में खासियत थी कि इसी से मोबाइल में डेटा सर्विस की शुरूआत हुई. सबसे बड़ा बदलाव था 2G सेवा से ही एसएमएस (SMS) सेवा की शुरूआत. 2जी में डेटा डिजिटल इन्क्रिप्शन शुरू होने से टेक्स्ट मैसेज भेजा जाना संभव हुआ. जो बाद में फोटो मैसेज और एमएमएस(MMS) भेजने तक पहुंचा. 3जी सेवा में डेटा की सेवा को 200 किलोबिट/ सेकेंड तक जा पहुंची. इस मोबाइल संचार सेवा से जरिए किसी भी फोन पर इंटरनेट एक्सेस ज्यादा तेज, वीडियो कॉलिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और मोबाइल टीवी सुविधा मिलने लगी.

जापान में ही एनटीटी और डोकोमो ने 3जी को पहली बार लॉन्च किया था. 4G मोबाइल सेवा में मोबाइल वेब एक्सेस, ऑनलाइन गेम खेलने के लिए उन्नत डेटा रिसीविंग, एचडी टीवी, और क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसी सुविधाएं मिलने लगेंगी.

4जी की शुरूआत 2006 में दक्षिण कोरिया के मोबाइल वाइमैक्स स्टैंडर्ड से हुई. इसके बाद 2009 में ओस्लो, नार्वे, स्टॉकहोम और स्वीडन में लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन(एलटीई) जारी किया गया. 4 जी सेवा के मानकों के अनुसार इसमें डेटा फ्लो 100 मेगाबिट पर सेकेंड होना चाहिए.

भारत में जल्द ही 4G सेवा बड़े तौर पर शुरु होने वाली है.

September 04, 2013

बलात्कारी बाबा..आशाराम हे राम!

हे राम! आशाराम जमीनों का अतिक्रमण लड़कियों का यौनशोषण, भ्रष्‍ट तरीकों से पैसा कमाना, आस्था के नाम पर भावनाओं से खिलवाड़ क्या ऐसे होते हैं बाबा सभी अपने नैनो को खोले चंगुल से आज़ाद हो जाओ कि कहीं अगला नंबर आपका ना हो क्या हमें जरूरत है ऐसे डोंगी की जाना है तो नारायण की शरण में जाओ शिव की शरण में जाओ और अपना जीवन सफल बनाओ हमारे पास ज्ञान के लिये गीता है वेद है फिर भी हम बाबाओ के जाल में कैसे फंस जाते है दुनिया को मोहमाया से मुक्त होने का संदेश देने वाला खुद समधी का बहाना बना कर पुलिस से बचना चाह रहा है क्या बहाना लगाया है पुलिस से बचने का !

ये बापू और वो बापू गुजरात की ही धरती पर के दो अलग अलग उदाहरण एक बेचारी नाबालिक लड़की के साथ जिसका सारा परिवार इसको भगवान मानता हो लड़की के पिता ने अपनी जमीन आश्रम के लिये दे दी हो वो ही बाप आज कानून का दरवाज़ा खटखता रहा है सी बी आई की जांच की मांग करता है और कह रहा है अगर पिता गलत है तो फाँसी दे दो नही तो बाबा को अंधविश्वास को समाज मे फ़ैलाने बाला लोगों को बहकाने वाला आज बाबा बना बेठा है और अंधविश्वास के खिलाफ मुहिम चलाने वाले दाभोलकर जैसे समाजसुधारो को मौत के घाट उतार दिया जाता है और पुलिस उन हत्यारो को पकड भी नही पाती क्योंकि हिन्दुस्तान की पब्लिक भी बेबकूफ है तभी तो इन दुष्टो का धंधा खूब फूलता फलता है |

इधर आसाराम समर्थकों चोरी के बाद भी सीनाजोरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं, आसाराम समर्थकों की दलील है कि उनके गुरू के खिलाफ मीडिया में गलत खबरें चल रही है...जिसके बाद ही समर्थक आपे से बाहर हो गये। वहीं आसाराम के खिलाफ अबतक की जांच को उन्हीं के समर्थकों ने ही सही बताया लेकिन फिर क्यों हंगामा