किसी भी तारीख का कोई सा भी अखबार उठाकर देख लीजिए. भ्रष्टाचार, हत्या, डकैती या बलात्कार जैसी बुरी ख़बरें ही प्रमुखता से छपी होंगी. अच्छी खबर यदि कोई छपी भी होगी तो इस तरह कि उसे ढूँढने के लिए आपको अखबार बहुत ध्यानपूर्वक पढ़ना होगा. बुरी ख़बरें सनसनी पैदा करती हैं और इसीलिए उन्हें प्रमुखता से छापा भी जाता है.
लेकिन क्रोएशिया से निकलने वाले एक अखबार के संपादक की सोच कुछ अलग है. उनका नाम एलन गेलोविक है और उनके अखबार में सिर्फ और सिर्फ अच्छी ख़बरें ही छापी जाती हैं.
वे मंत्रियों के भ्रष्टाचार की ख़बरें नहीं छापते, बल्कि उस हज्जाम के बारे में लिखते हैं जो अनाथ बच्चों के बाल मुफ्त में काटता है. डाके और बलात्कार की रिपोर्टिंग करने के बजाय वे एक कुत्ते का जीवन बचाने के लिए चलाये गए बचाव अभियान को प्रमुखता से छापते हैं.
सच तो ये है कि हम सभी अच्छी ख़बरें ही पढ़ना-सुनना चाहते हैं लेकिन हमें बुरी ख़बरें ही ज्यादा परोसी जाती हैं.
बहरहाल, “24 Sata” नामक इस अच्छे अखबार से जुड़े सभी लोग साधुवाद के पात्र हैं. हमारी शुभकामनायें.
लेकिन क्रोएशिया से निकलने वाले एक अखबार के संपादक की सोच कुछ अलग है. उनका नाम एलन गेलोविक है और उनके अखबार में सिर्फ और सिर्फ अच्छी ख़बरें ही छापी जाती हैं.
वे मंत्रियों के भ्रष्टाचार की ख़बरें नहीं छापते, बल्कि उस हज्जाम के बारे में लिखते हैं जो अनाथ बच्चों के बाल मुफ्त में काटता है. डाके और बलात्कार की रिपोर्टिंग करने के बजाय वे एक कुत्ते का जीवन बचाने के लिए चलाये गए बचाव अभियान को प्रमुखता से छापते हैं.
सच तो ये है कि हम सभी अच्छी ख़बरें ही पढ़ना-सुनना चाहते हैं लेकिन हमें बुरी ख़बरें ही ज्यादा परोसी जाती हैं.
बहरहाल, “24 Sata” नामक इस अच्छे अखबार से जुड़े सभी लोग साधुवाद के पात्र हैं. हमारी शुभकामनायें.
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