2015

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December 31, 2015

जाति के आधार पर ही शादी क्यूँ?

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के कुछ पुराने हो चुके कानून को बदलने की बात कही उनको ऐसा लगा कि ये कानून काफी पुराने हो चुके है जो आज के बदले हुए समाज के मुताबिक व्यवहारिक नहीं है इन्हे या तो बदल देना चाहिए या ख़त्म कर देना चाहिए, विचार प्रशंशनीय था |

खैर, कानून तो सरकार बदल देगी लेकिन समाज का क्या? लाखो साल पहले बनाये सामाजिक नियम और परम्पराओ को अभी तक हम नहीं बदल पाये मेरे विचार से जैसे-जैसे हमारा समाज बदलता है वैसे-वैसे समय के साथ हमारे सामाजिक मान्यताओ को भी बदलते रहना चाहिए |

जो हमारे पूर्वजो ने नियम बनाये थे वो उस समय के हिसाब से सही थे लेकिन आज का समाज और उसका परिवेश बदल चुका है उस वक़्त समाज का वर्गीकरण लोगों के व्यवसाय के आधार किया गया था, ताकि हर व्यक्ति को उसका कार्य अच्छे से पता हो, और अपेक्षाएं भी।

आज के युग में जब लोग अपनी जाति के आधार पर व्यवसाय नहीं चुनते, तो फिर जाति के आधार पर शादी क्यूँ? ज़िन्दगी भर की खुशियां सिर्फ इस पर निर्भर नहीं करती की आपका परिवार कौनसा है, आप किस जाति और धर्म के हैं, आपके बैंक में कितना पैसा है आदि, शादी आखिर एक ऐसा निर्णय हैं कि आप ये खुद सोच सके की आप किसके साथ अपनी ज़िन्दगी बिताना चाहते हैं आपका साथी आपके लायक है या नहीं |

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शादी का ढांचा जो अभी मौजूद है यह उस समय का है जब हमारा सामाजिक ढांचा बहुत अलग किस्म का था. उन दिनों परिवार बहुत बड़े और संयुक्त होते थे. वह पुरुष प्रधान समाज था जिसमें स्त्रियाँ आश्रितवर्ग में ही गिनी जाती थीं. आदमी चाहे तो एक से अधिक विवाह कर सकता था पर स्त्रियों के लिए तो ऐसा सोचना भी पाप था. लेकिन इसके बाद भी पुरुषों पर कुछ बंदिशें थीं और वे पूर्णतः स्वतन्त्र नहीं थे: वे अपने परिवार और जातिवर्ग के नियमों के अधीन रहते थे विवाह संबंध वर और वधु के परिवार द्वारा तय किये जाते थे और लड़का-लड़की एक-दूसरे को प्रायः विवाह के दिन तक देख भी नहीं पाते थे, शादी उस उम्र में तय कर दी जाती थी जब उनको इसका मतलब भी नहीं पता होता था, आधुनिक समय में ऐसा सोचना मजाक लगता है |

आज जहाँ महिलाओ को शिक्षा, रोजगार हर जगह पुरुषो के बराबर का स्थान प्राप्त है और पुरुष सिर्फ एक पत्नी नहीं बल्कि एक साथी तलाश कर रहे है जो परिवार के साथ साथ उनके काम को भी समझे और महंगाई के दौर में आर्थिक मजबूती भी दे सके इसीलिए इंटरकास्ट मैरिज का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है क्यूंकि ज्यादा से ज्यादा युवा महिला और पुरुष जाति के बंधनों से परे अपनी व्यक्तिगत पसंद से शादी करना चाहते हैं। सर्वोच्च न्यायलय ने भी इसे 'राष्ट्रहित' में मानते हुए सरकारी मान्यता दे दी है।

पहले मुश्किलें करे दूर:

किसी और जाति के व्यक्ति से शादी करना आपके लिए थोड़ी बहुत मुशिलें जरूर खड़ी कर सकता है। जैसे कि सम्भव है कि आप पक्के शाकाहारी हों जबकि दूसरा व्यक्ति मांस का शौक़ीन हो। ये बातें सुनने में छोटी लगती हैं पर कई बार आगे चलकर रोड़ा बन जाति हैं तो इनके बारे में शुरू में ही खुलकर चर्चा और आपसी समझदारी होना आवश्यक है। साथ ही, अपने परिवार और रिश्तेदारों के विरोध का सामना करने के लिए भी मानसिक रूप से तैयार रहना ज़रूरी है। माता पिता को विलेन न समझे बल्कि उनकी इच्छाओं और उमीदों का अंदाज़ा लगाकर उनसे बात करके उन्हें समझने कि कोशिश करनी चाहिए। गुस्से और नाराज़गी कि बजाय तर्क और धैर्य से उन्हें समझाएं, कि आपके हिसाब से आपका निर्णय क्यूँ सही है? क्युकि वो हर हाल में चाहते आपकी ख़ुशी ही है, किसी ऐसे व्यक्ति कि मदद लें जो आपके फैसले का समर्थन करता हो।

December 08, 2015

राघवयादवीयम्ः एक अद्भुत ग्रंथ जिसे सीधा पढ़ें तो राम कथा, उल्टा पढ़े कृष्ण की गाथा

आज के समय में बिना वजह की बातो को लेकर धर्म का झंडा उँचा करके घूमने वाले बहुत है पर बहुत ही कम लोग ही ऐसे है जो आज भी तथ्यों के आधार पर बात करते है और साथ दुसरो को प्रेरित करते हो|

ऐसे ही एक मित्र है विजय भारद्वाज जिन्होंने मुझे बताया कि एक ऐसा ग्रन्थ है जो केवल 60 श्लोक का है और उसमे राम गाथा और कृष्णा गाथा दोनों है नाम है "राघवयादवीयम्"...

हम बचपन से राम गाथा के लिए 25000 श्लोको का रामायण और कृष्णा के लिए 100,000 श्लोको का महाभारत ही पढ़ते, सुनते या देखते आये है इसीलिए मुझे आश्चर्य हुआ कि ऐसा कैसे हो सकता है?

फिर इंटरनेट कि सहायता से मैंने राघवयादवीयम् पढ़ा बड़ा ही अद्भुत ग्रंथ है। केवल 30 श्लोक इन श्लोकों को सीधे-सीधे पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती हैऔर विपरीत क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा इसीलिए 'अनुलोम-विलोम काव्य' भी कहा जाता है. इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक,लेकिन कृष्णकथा के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ,तो बनते हैं 60 श्लोक।

यह काव्य कांचीपुरम, तमिलनाडु के 17वीं शती के कवि वेंकटाध्वरि  द्वारा लिखी गयी है जिनके बारे में भोपाल स्थित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थानम के प्रिंसिपल डॉ विद्यानंद झा कहते हैं- "यह ग्रंथ बताता है कि कवि कितना ज्ञानी था, जिसने ऐसी रचना की जो राम और कृष्ण, दोनों के भक्तों के लिए खास है।" वे कहते हैं, "संस्कृत में लिखे गए इतने अद्भुत ग्रंथ को सहेजना चाहिए, लोगों तक पहुंचाना चाहिए न कि धर्म पर हो रही बेवजह बहस में पड़ना चाहिए।"

राघवयादवीयम् के बारे में :
जैसा कि नाम से जाहिर होता है राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित्र को बताने वाली यह गाथा है राघवयादवीयम्। पहला श्लोक हैः
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ 1॥

अर्थातः मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं जो जिनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्रि की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे।

अब इसका विलोम यानी उल्टा श्लोक देखिए-

सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ 1॥

अर्थातः मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करता हूं जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है।


राघवयादवीयम के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं -

राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि

वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।

रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥

विलोमम्

सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।

यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥


साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा ।

पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ २॥

विलोमम्

वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।

राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ २॥


कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका ।

सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥ ३॥

विलोमम्

भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा ।

कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥


रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् ।

नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥

विलोमम्

यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः ।

तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥


यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ ।

तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥ ५॥

विलोमम्

तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं ।

सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥


मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं ।

काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥

विलोमम्

तेन रातमवामास गोपालादमराविका ।

तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥ ६॥


रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते ।

कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥

विलोमम्

मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका ।

तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ॥ ७॥


सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया ।

साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ॥ ८॥

विलोमम्

हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा ।

यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा ॥ ८॥


सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया ।

सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ॥ ९॥

विलोमम्

सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा ।

यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥


तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा ।

यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ॥ १०॥

विलोमम्

हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया ।

सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥


वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो ।

भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥

विलोमम्

सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः ।

होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥


यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।

सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥ १२॥

विलोमम्

भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।

वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥


रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह ।

यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥ १३॥

विलोमम्

नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।

हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥ १३॥


यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् ।

सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥ १४॥

विलोमम्

यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः ।

गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥


दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा ।

ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥

विलोमम्

नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।

हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥


सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् ।

तं द्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥ १६॥

विलोमम्

हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् ।

जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥ १६॥


सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः ।

न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥ १७॥

विलोमम्

तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन ।

सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥ १७॥


तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत ।

वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥ १८॥

विलोमम्

केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः ।

ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥


गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया ।

सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥ १९॥

विलोमम्

हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस ।

यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥ १९॥


हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः ।

राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥ २०॥

विलोमम्

घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः ।

धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥


ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।

हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि ॥ २१॥

विलोमम्

विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।

ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥ २१॥


भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा ।

चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ॥ २२॥

विलोमम्

ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा ।

हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ॥ २२॥


हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः ।

तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ॥ २३॥

विलोमम्

योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् ।

जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ॥ २३॥


भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं ।

तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ॥ २४॥

विलोमम्

विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं ।

तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ॥ २४॥


हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि ।

राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ॥ २५॥

विलोमम्

यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा ।

निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ॥ २५॥


सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः ।

तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ॥ २६॥

विलोमम्

जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं ।

हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ॥ २६॥

वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः ।

तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ॥ २७॥

विलोमम्

नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः ।

सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥ २७॥


हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः ।

चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ॥ २८॥

विलोमम्

हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा ।

सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ॥ २८॥


नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका ।

रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ॥ २९॥

विलोमम्

नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा ।

कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ॥ २९॥


साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥

निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥ ३०॥

विलोमम्

भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।

गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥ ३०॥


॥ इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री राघव यादवीयं समाप्तम् ॥

May 08, 2015

सलमान खान की सजा – एक राष्ट्रिय शोक

नवम्बर 30, 2013 को अमेरीका के अभिनेता पॉल वॉकर की मौत जब सड़क हादसे में हुई तो तमाम सेलीब्रटी मीडिया के जरिए अपनी संवेदनाएं लोगों तक पहुँचाने लगे। मीडिया ने ऐसा माहौल बनाया लगा कि जैसे उनकी मौत कहीं राष्ट्रीय शोक में तब्दील हो जाए।

वहीं  यहां सलमान खान ने खुद शराब के नशे में पांच लोगों को रौंद डाला। एक की मौत हो गई चार घायल हो गए। लेकिन ट्विटर और फेसबुक पर सितारों के विलाप, गुस्से और संवेदनाओं को दिखाकर मीडिया ने लोगों के मन में पीड़ित के बजाए दोषी के पक्ष में संवेदनाएं जगा दी।

सलमान खान के लिए हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ग़मगीन है। लोगों की भावनाएं फेसबुक, ट्विटर पर उमड़ रही हैं। फिल्म में हीरो का किरदार करने वाले व्यक्ति को लोग असल में भी हीरो ही मानते हैं। हमारे लिए वो इन्साफ से भी ऊपर है। कितने ही लोग सलमान के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, उनके बचाव में पीड़ितों को गाली देकर कह रहे हैं कि फुटपाथ पर सोने वाले ऐसी ही कुत्ते की मौत मरते हैं।


हमारे हीरो को ये क्यों नहीं पता होता है कि शराब पीकर गाड़ी चलाना कानूनन जुर्म है। अगर फुटपाथ सोने के लिए नहीं है तो गाड़ी चढ़ाने के लिए भी नहीं होता है।
अपने पसंदीदा शख्स के लिए हमदर्दी होना कोई बुरी बात नहीं है। लेकिन मीडिया ने जिस तरह की कवरेज दी है, उससे तो सलमान खान को पसंद ना करने वाले के दिल में भी हमदर्दी पैदा हो जाएगी।

सलमान खान ने शराब पीकर गाड़ी चलायी, बिना लाइसेंस के गाड़ी चलायी और नशे में कुछ लोगों को घायल कर के भाग गए। फिर 13 साल तक मानसिक तनाव के साथ बचने के रास्ते खोजते रहे।

आज कोर्ट ने उन्हें अधिकतम सज़ा ना देते हुए केवल 5 साल की सज़ा दी है। ये कम हुई सज़ा भी उन्हें अपनी 2007 में बनी 'Being Human' संस्था के कामों को मद्देनज़र रखते हुए दी गयी है।

सोचिये, अगर सलमान खान वहां से ना भागते, घायलों को अस्पताल पहुंचा देते और खुद को पुलिस के हवाले करके कोर्ट के सामने अपनी गलती क़ुबूल करते हुए पीड़ितों की ज़िम्मेदारी उठाते तो क्या होता?
अगर 2002 में उन्होंने अपनी गलती मान ली होती तो कोर्ट शायद उन्हें 3 साल की सज़ा ही देता और उन्हें जेल ना जाना पड़ता। इस भयंकर मानसिक तनाव को 13 साल तक ना ढोते। मीडिया और मेरे जैसे कई लोगों के वो हीरो होते। लेकिन हम लोग अपने ज़मीर से ज़्यादा अपने वकीलों पर भरोसा करते हैं।

टीवी पर सलमान खान के पक्ष में कोई नमाज पढ़ता दिखा तो कोई हवन करता हुआ। लेकिन इस प्रक्रिया में न्याय के जरिए कैसे पीड़ितों को इंसाफ और ताकतवर सेलीब्रेटी को सजा मिली, इसका जिक्र कहीं नहीं हुआ।

यही होता है सेलीब्रेटी सिमपैथी की हवा बनाने के साइड इफेक्ट जहां सजा सुनाने वाला कोर्ट छोटा हो गया और दोषी का कद बड़ा।