November 2014

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November 27, 2014

बॉस को खुश रखने के लाजवाब तरीके, Great Way to Keep the Boss Happy

तरक्की की राह में आपकी प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन के साथ ही जो चीज सबसे अहम है,  वो है अपने सीनियर यानी बॉस को सदा खुश रखने का हुनर। इसके लिए आपको चमचागिरी नहीं,  बल्कि ऑफिस के सही तौर-तरीके आने चाहिए। यहां दिए जा रहे पांच टिप्स को अपना कर आप वर्कप्लेस पर अपनी पकड़ मजबूत बना सकते हैं। 


सीखिए समय प्रबंधन
काम पूरा करने से ज्यादा जरूरी है काम को समय पर या समय से पहले पूरा करना। दिमाग पर जोर लगा कर देखिए,  उस वक्त आपके दिलो-दिमाग पर क्या बीतती है,  जब तय समय के भीतर आपको कोई विशेष प्रोजेक्ट ऑफिस में देना हो और आपकी कैब निर्धारित समय से लेट हो जाए। ऐसे वक्त में आपकी तिलमिलाहट बढ़ जाती है।

आप भले ही ड्राइवर को कुछ न कहें,  लेकिन दिन भर उसे समय पर न आने के लिए कोसते तो रहते ही हैं। ठीक ऐसा ही आपके बॉस के साथ भी होता है,  जब आप तय समय पर प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाते। इसलिए बॉस की नजर में अपनी अच्छी छवि बनाए रखने के लिए समय पर काम पूरा करने की आदत डालें। ये तभी संभव है,  जब आपने ऑफिस के निर्धारित समय से थोड़ा पहले पहुंचने की आदत विकसित कर ली हो। टाइम मैनेजमेंट के लिए एक बात और बहुत अहम है,  और वह है स्मार्ट तरीके से काम करना। आप अपने दोस्तों खासतौर से ऑफिस के सहकर्मियों से किसी दूसरे सहकर्मी के बारे में सुनते होंगे कि फलां कर्मचारी बुद्धिमान नहीं है,  लेकिन स्मार्ट तरीके से काम करता है। क्या ये बात सही हो सकती है?  इस बारे में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के कृपाशंकर पाण्डेय कहते हैं, ‘बगैर ज्ञान के कोई व्यक्ति स्मार्ट नहीं बन सकता। कुछ समय तक तो वो व्यक्ति सामने वाले को चकमा दे सकता है,  लेकिन बात वर्कप्लेस की हो तो ऐसा होना संभव नहीं है। स्मार्टनेस वहीं आती है,  जहां बुद्धिमत्ता होती है।’

प्रोफेशनल होना जरूरी 
ध्यान रखिए कि आप किसी नए ऑफिस में पहुंचने वाले हैं तो वहां के बारे में पहले से ही जानकारी हासिल कर लें। यकीन मानिए,  ये आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। आप अपने प्रोफेशन और समसामयिक चीजों से जितने ज्यादा अपडेट रहेंगे,  वर्कप्लेस पर आपको उतनी ही मजबूती मिलेगी। यहां अपडेट रहने का मतलब पॉजिटिव जानकारी से है,  न कि बॉस और उसके आसपास के लोगों के पर्सनल मैटर को जानने में ली गई दिलचस्पी से। वर्कप्लेस के लिए आपका शिष्ट होना आवश्यक है। वर्कप्लेस पर क्या करना है,  ये जानना जितना जरूरी है,  उससे कहीं ज्यादा ये जानना जरूरी है कि आपको क्या नहीं करना है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है सहकर्मियों के साथ बेवजह की गॉसिप से बचना। अगर आप ये समझते हैं कि बॉस के साथ बैठ कर ज्यादा देर तक बातचीत करना आपको उनके करीब लाता है तो आपका ये सोचना बिल्कुल गलत है। कोई भी बॉस अपने सहकर्मियों से अच्छे आउटपुट की उम्मीद करता है,  न कि लफ्फाजी की।

पहनावा भी हो आकर्षक
किसी को प्रभावित करने के लिए शुरुआती 30 सेकेंड ही मायने रखते हैं। इसलिए इस बात को पक्का कर लीजिए कि आप सामने वाले के आगे अपना बेस्ट ही प्रदर्शित कर रहे हैं। पहनावा क्या हो,  ये निश्चित करते समय इस बात को प्रमुखता देनी चाहिए कि आपके बॉस या सहकर्मी वर्कप्लेस पर आपकी ड्रेस से असहज महसूस न करें। साथ ही कोशिश करें कि आपकी ड्रेस फॉर्मल और साफ-सुथरी हो। छोटे व सलीके से रखे गए बाल वर्कप्लेस के लिए सबसे मुफीद हैं। ऐसी महिलाएं,  जिनके चेहरे पर हार्मोन्स की वजह से बालों की अधिकता हो जाती है,  उन्हें ये ध्यान रखना चाहिए कि इससे आपके सहकर्मी आपके बारे में नेगेटिव सोच बना सकते हैं,  मसलन आप खुद का ध्यान ठीक से नहीं रखतीं तो काम-काज क्या संभालेंगी। इसलिए खुद को सुव्यवस्थित रखना वर्कप्लेस की प्रमुख मांग है। कपड़ों का रंग ऐसा न चुनें कि हर कोई आपको ही नोटिस करता रहे। अत्यधिक चुस्त कपड़े पहनने से बचें। साथ ही आप अपने लिए जिस सम्मान की इच्छा रखते हैं,  वैसा ही सामने वाले को भी दें।

तहजीब 
तहजीब यानी कि एटिकेट्स,  ये वो सामान्य सी चीज है,  जिसे अपना कर आप वर्कप्लेस पर छा सकते हैं। बस इसके लिए आपको ध्यान रखना है कि आप ऐसा कोई व्यवहार न करें,  जिससे सार्वजनिक स्थल पर आपकी बेइज्जती हो। सौम्य व मृदुभाषी बनें। दूसरों के बारे में शिकायती रवैया न अपनाएं। इन दोनों बातों को अपना कर निश्चित रूप से आप लोगों की प्रशंसा के पात्र बनेंगे। आसपास के लोगों का सम्मान करना और उनके साथ सहृदयता से पेश आना आपकी छवि को निखारता है। अपने धार्मिक और राजनीतिक विचारों को वर्कप्लेस पर सामान्य तरीके से रखें यानी इस पर जिरह करने से बचें।

प्रभावी संवाद
संवाद यानी कम्युनिकेशन बेहतर होना किसी भी कर्मचारी का सबसे प्रभावी पक्ष हो सकता है। फिर चाहे वो लिखित हो या मौखिक। आप अपने बॉस के साथ आइडिया शेयर करें और उनके आइडिया पर तार्किक प्रतिक्रिया दें। इसके जरिए आप अपने आपको बेहतर कर्मचारी साबित कर सकते हैं। सकारात्मक संवाद ऐसा तरीका है,  जिसके जरिए आप अपने सीनियर का भरोसा जीत सकते हैं।

बॉस सब जानते हैं..
एक अच्छा बॉस ये अच्छी तरह जानता है कि कौन सा कर्मचारी चापलूस है और कौन सा मेहनतकश। अगर आपने अपने हुनर से बॉस को ये जता दिया कि आप न सिर्फ मेहनतकश हैं,  बल्कि उनके लिए उपयोगी भी हैं तो तरक्की की राह के रोड़े खुद ब खुद हटते चले जाएंगे।

November 15, 2014

ये 5 चीजें कभी पोस्‍ट न करें फेसबुक पर - 5 things you should never post on facebook

आज के दौर में सोशल नेटवर्किंग के मामले में फेसबुक का कोई सानी नहीं है . अगर आप इस वक्‍त अपना स्‍टेटस अपडेट नहीं कर रहे होंगे तो आप या तो फोटो अपलोड कर रहे होंगे या फेसबुक पर किसी अजीब से क्विज में भाग ले रहे होंगे. जाने-अनजाने हम अपने बारे में ऐसी कई निजी जानकारियां फेसबुक पर साझा करने लगे हैं जिनके बारे में आमतौर पर हम किसी से जिक्र तक करना पसंद नहीं करते. हम सोचते हैं कि अगर हमने अपनी प्राइवेसी सेटिंग्‍स सही से सेट की हैं तो चिंता करने की कोई बात नहीं और खुद को अपने फ्रेंड सर्किल के बीच पूरी तरह महफूज समझने लगते हैं.

असल परेशानी इस बात की है कि हमें कभी ये पता ही नहीं चलता है कि फेसबुक पर कौन हमारे बारे में पढ़ रहा है या जानकारी जुटा रहा है. हो सकता है कि हमारा कोई दोस्‍त ऐसी एप्‍लीकेशन डाउनलोड कर लेता है जिससे उसका एकाउंट हैक हो जाए. यह भी हो सकता है कि हमारा दोस्‍त लॉगआउट करना भूल जाए और उसके कोई अंकल या जानकार उसके एकाउंट का इस्‍तेमाल करने लगे. ऐसे में अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए आपको इन पांच चीजों को फेसबुक पर कभी पोस्‍ट नहीं करना चाहिए:

(1) अपने और अपने परिवार की पूरी बर्थडेट: बर्थडे के दिन अपनी फेसबुक वॉल पर "हैप्‍पी बर्थडे" मैसेज पढ़कर हम सबको बेहद खुशी होती है. यही वजह है कि हम में से ज्‍यादातर लोग अपने जन्‍मदिन की तारीख फेसबुक पर जरूर मेंशन करते हैं, लेकिन ऐसा करते वक्‍त हम ये भूल जाते हैं कि हम चोरों को अपने बारे में बेहद निजी जानकरी दे रहे हैं. वैसे हमें बर्थ डेट मेंशन करने से बचना चाहिए, लेकिन फिर भी अगर आप ऐसा करना ही चाहते हैं तो कम से कम से बर्थ ईयर के बारे में कोई जानकारी न दें. वैसे भी जो आपके सच्‍चे और पक्‍के दोस्‍त होंगे उन्‍हें आपके बर्थडे के बारे में मालूम ही होगा.

(2) रिलेशनशिप स्‍टेटस: चाहे आप रिलेशन में हों या न हों, उसे सार्वजनिक रूप से जाहिर न करने में ही अक्‍लमंदी है. अगर आप अपना स्‍टेटस कमिटेड से सिंगल करते हैं तो उन लोगों को मौका मिल जाता है जो काफी समय से आपके पीछे पड़े हुए थे. इससे उन्‍हें यह भी पता चल जाता है कि अब आप ज्‍यादातर समय अकेले रहती हैं. ऐसे में बेहतर यही रहेगा कि अपने प्रोफाइल में रिलेशनशिप स्‍टेटस को ब्‍लैंक ही छोड़ दिया जाए.

(3) करंट लोकेशन: ऐसे कई लोग हैं जिन्‍हें फेसबुक पर लोकेशन टैग करना बहुत अच्‍छा लगता है ताकि वे बता सकें कि 24 घंटे सातों दिन वे कहां रहते हैं. यानी कि आप खुलेआम इस बात का ऐलान करते फिर रहे हैं कि आप छुट्टियों पर हैं (और आपके घर में कोई नहीं है). इस पर अगर आप ये भी बता दें कि आप कितने दिनों के लिए बाहर गए हैं तो चोरों का काम आसान हो जाता है और वे आसानी से आपके घर पर हाथ साफ करने की साजिश रच लेते हैं. अच्‍छा यह रहेगा कि छुट्टियों से वापिस आने पर आप फोटो अपलोड कर अपने दोस्‍तों को जताएं कि जब वो काम कर रहे थे तब आप घूमने, खाने-पीने और शॉपिंग में बिज़ी थे.

(4) घर पर अकेले हैं तो रखें खास एहतियात: पेरेंट्स को इस बात का खास ध्‍यान रखना चाहिए कि जब उनके बच्‍चे घर पर अकेले हों तब न तो खुद और न ही बच्‍चे इस बारे में अपने-अपने फेसबुक एकाउंट पर कुछ लिखें. वैसे भी जब आप घर पर अकेले होते हैं तब खुद किसी अजनबी के घर जाकर उसे इस बारे में जानकारी नहीं देते हैं तो फेसबुक पर भी ऐसा न करें.

हमें लगता है कि सिर्फ हमारे दोस्‍त ही हमारा स्‍टेटस पढ रहे हैं, लेकिन असल में हमें पता ही नहीं होता है कि कौन-कौन उसे पढ़ रहा है. हो सकता है कि आपके दोस्‍त का एकाउंट हैक हो गया हो या दफ्तर में उसके पीछे खड़े होकर कोई चुपके से आपके स्‍टेटस को पढ़ रहा हो. सबसे अच्‍छा तरीका यही है कि आप फेसबुक पर ऐसा कोई स्‍टेटस अपलोड न करें जिसे आप किसी अजनबी से कभी शेयर नहीं करेंगे.

(5) बच्‍चों की तस्‍वीरें उनके नाम से टैग न करें: हम अपने बच्‍चों से बेहद प्‍यार करते हैं. उन्‍हें महफूज रखने के लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं, लेकिन ज्‍यादातर लोग अपने बच्‍चों की ढेर सारी फोटो और वीडियो बिना सोचे-समझे टैग कर देते हैं. यही नहीं कई बार तो हम उनकी फोटो को ही अपनी प्रोफाइल पिक्‍चर बना लेते हैं. 10 में से नौ पेरेंट्स ऐसे हैं जो डिलीवरी के बाद अस्‍पताल में रहते हुए ही अपने बच्‍चों का पूरा नाम और डेट तथा टाइम फेसबुक पर पोस्‍ट कर देते हैं.

हम अपने बच्‍चों की फोटो पोस्‍ट करने के साथ ही उन्‍हें और उनके दोस्‍तों को अपने भाई-बहनों, कजिन्‍स और दूसरे रिश्‍तेदारों के साथ टैग कर देते हैं. इस जानकारी का इस्‍तेमाल बदमाश आपके बच्‍चे को बहलाने के लिए कर सकते हैं. आपके बच्‍चों का विश्‍वास जीतने के लिए वे उन्‍हें नाम से बुलाने के साथ ही उनके दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों का नाम भी ले सकते हैं ताकि उन्‍हें यकीन हो जाए कि वो अजनबी नहीं हैं. इस तरह वे धीरे-धीरे बच्‍चों के दिल में अपनी जगह बना लेते हैं और फिर अपने नापाक इरादों को अंजाम देते हैं.

अगर आप अपने बच्‍चों की तस्‍वीरें अपलोड भी कर रहे हैं तो उनका पूरा नाम और डेट ऑफ बर्थ की जानकारी देने से बचें. वैसे ज्‍यादा फोटो अपलोड करने की जरूरत ही क्‍या है.

आखिर में अपने दोस्‍तों या रिश्‍तेदारों के बच्‍चों को टैग करने से पहले दो बार सोचें. हो सकता है कि ऊपर दिए गए कारणों की वजह से वे यह चाहते ही न हो कि आप उनके बच्‍चों की फोटो को टैग करें. बेहतर होगा कि आप उन्‍हें फोटो ईमेल कर दें और अगर उनकी मर्जी होगी तो वो खुद ही उन्‍हें टैग कर देंगे.

नोट: ऐसी और जानकारियो के लिए पढ़ते रहे "एक गुल्लक" या फिर आप अपनी पोस्ट यहाँ प्रकाशित करने के लिए हमें भेज सकते है..

November 07, 2014

बिना मफलर क्या करेंगे?

दिल्ली में देर से चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी चाहे बीजेपी की कितनी खिंचाई क्यों न कर लें मगर इसमें दो राय नहीं कि इस देरी का सबसे ज्यादा फायदा ‘आप’ और केजरीवाल को ही होगा। ये सोचकर ही आउट ऑफ सिलेबस सवाल देखने वाले बच्चे की तरह मेरा सिर चकरा जाता है कि दिसंबर—जनवरी के बजाए दिल्ली चुनाव गर्मी में हो गए होते तो केजरीवाल बिना मफलर रैलियां करते कैसे लगते। गर्मी में जब कभी उन्हें बिना मफलर के देखा तो लगा किसी ने उनकी ताकत छीन ली है। वो वैसे ही लगे जैसे ‘लम्हे’ में बिना मूंछ के अनिल कपूर।

मफलर इस हद तक उनकी जान और पहचान बन चुका है कि कुछ लोगों का कहना है कि अगर वे एक साथ दो सीटों से चुनाव लड़ना चाहें तो एक सीट से अपनी जगह मफलर को चुनाव लड़वा सकते हैं। बीजेपी को रत्तीभर भी अंदाज नहीं था कि जिन केजरीवाल को फ्रस्ट्रेट करने के लिए वो चुनाव लटका रही है, वही लटके केजरीवाल ठंड आते—आते मफलर का दामन थाम लेंगे। आम आदमी पार्टी केजरीवाल को कितना भी विश्वसनीय चेहरा क्यों न मानें मगर जून में चुनाव होते तो शायद बिना मफलर उन्हें कोई पहचानता तक नहीं। खुद उन्होंने पासपोर्ट में बर्थ मार्क में निशानी के रूप में मफलर लिखवा रखा है और जेब में वोटर आईडी कार्ड की जगह भयकंर गर्मियों में भी वो मफलर साथ रखते हैं।

वे अपने मफलर से वही आत्मविश्वास पाते हैं जो नरेंद्र मोदी को अपनी नेहरू जैकेट से मिलता है। मेरा मानना है कि मोदी का दाहिना हाथ अमित शाह नहीं, उनकी जैकेट है। खबरें यहां तक है कि दिल्ली में केजरीवाल के मुकाबले बीजेपी मोदी जी की जैकेट को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है।

कपड़े किसी भी इंसान का तकिया कलाम, उसका हैल्पिंग वर्ब होते हैं। इसे छीन लें तो वह लटपटाने लगता है। राहुल बाबा का एंगरी यंग मैन का रूप निकलकर सामने आए इसके लिए जम्रूरी नहीं है कि उन्हें दी गई स्क्रिप्ट अच्छी हो, बल्कि शर्त ये है कि उन्होंने फुल स्लीव का कुर्ता पहना हो ताकि बोलते—बोलते वो बाहें ऊपर चढ़कर गु्स्सा दिखा सकें।




(लेखक परिचय: -  नीरज बधवार सक्रिय साहित्यकार एवं आलोचक)