June 2014

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June 06, 2014

बयान का दर्दनाक अंत - बलात्कार की घटनाओ पर एक विषेश लेख

गांव से आई दुष्कर्म की शिकार बाला- {लालपरी} ने सिर के आँचल को सम्हालते हुए शंसय भरा प्रश्न किया| मैडम बयान भी ले लो ……..स्टेमेंट भी ले लो| पर अब मैं स्टेमेंट देने लायक नहीं हूँ …….. सबने लिया स्टेमेंट किसी ने नहीं छोड़ा …….. जानवर बन गए …….. एक मजबूर इंसान के साथ, जांच के नाम पर …….. मुझे न्याय (इंसाफ)  देने के नाम पर …….. केवल और केवल स्टेटमेंट लेना होगा|

जज मैं समझी नहीं ? दस्तावेजों के मुताबिक तुम्हारा नाम लालपरी है न ? जज साहिबा ने चश्में को उतारते हुए तिरछे देखते पूछा | जी ! मैडम मेरा नाम लालपरी बापू का नाम भरत साह ,साकिम खारगुन, तहसील - बेणी थाना - मौना ,जिला-महबूब नगर | एक साँस में बोल गयी | हाँ सो तो ठीक है ,ये सब दस्तावेजों में है | 

लालपरी ! डरो नहीं अपना बयान कलमवद्ध कराओ .स्टेटमेंट दो , हम तुम्हारे साथ हैं जज साहिबा ने रहस्यमयी स्थिति को कुछ समझते हुए कहा| रेप पीड़िता, मुझे अब जहर दे दो ,फांसी दे दो ,अब मत लो स्टेमेंट| अब नहीं जीना चाहती| आप नहीं समझ सकती कि मेरे माँ-बापू पर क्या बीतती होगी ……..,मुझ पर क्या बीतती है| बापू रोता है कहता है अब कौन थामेगा मेरी लालपरी का हाथ| ये लगा कलंक कहाँ मिटेगा अब ...बिलबिला उठी थी मेज पर सिर रख कर लालपरी|

जज साहिबा ने सम्हालते हुए एक गिलास पानी देने को कहा और पानी पीते ही सच बताने का आग्रह किया| …….. मैडम जी! मेरे बापू ने माँ की दवाई के लिए गांव के ही हरी चंद से ब्याज पर पैसे लिए जो अभी चुकता नहीं हो सका है| आठ हजार चुकता करने के बाद भी उसका चार हजार,,चार साल में सोलह हजार हो गया| रोज पैसों के लिए धमकाता था| एक दिन माँ बापू खेत में थे,,शैतान ने मुझे अकेला देख मेरे साथ बुरा काम किया और कहीं कहने पर मुझे व मेरे माँ बापू को जान से मार देने की धमकी दे गया|

माँ के घर आने पर मैंने माँ से सारी आप बीती बताई| माँ सन्न रह गयी| माँ ने बापू को मेरी दास्तान बताई| मुझे ले माँ- बापू सरपंच के पास गए| जाँच और स्टेमेंट (बयान) जरुरी है, कह उसने अकेले एक कमरे में लेजा स्टेमेंट लिया| थाने पर वह हम लोगों को साथ ले गया, वहां मुंशी, दिवान से सरपंच ने कुछ बात किया और चला आया| थाने में मुंशी, दिवान व दरोगा ने स्टेमेंट लिया, तमाम शर्मनाक सवाल - जबाब करते रहे, इसे जाँच व कार्यवाही समझ हम चुप-चाप सहते रहे , कि न्याय मिलेगा ,दोषी को सजा मिलेगी|

हद तब हो गयी अस्पताल गए वहां भी कम्पाउण्डर व डाक्टर ने स्टेमेंट लिया| कैसे -कैसे जाँच किया बताना मुश्किल। हम क्या करें कहाँ जाये| जो काम उस सूदखोर ने किया वही स्टेमेंट के नाम पर सभी ने किया ... | मैडम अब मेरी शरीर और आत्मा साथ नहीं देते .. .फफक कर रो पड़ी थी बाला लालपरी |

जज साहिबा के आँखो में नमीं थी, मौसम और माहौल बादल गया  था, बादल घिरे हुए थे, कब बरस जायेगें कहा नहीं जा सकता| . ..  मैडम ने अर्दली प्रेमसिंह को आवाज दी| जी हुजूर ! प्रेम सिंह अंदर दाखिल हुआ . ..  बाहर बैठे इनके माता-पिता को अंदर बुलाओ| जी अच्छा| प्रेम सिंह बाहर चला गया| अंदर मुंसफ गंभीर मुद्रा में और फरियादी हाथ जोड़े एक दूसरे को आशा भरी निगाह से देख रहे थे सभी चुप थे| मौन बोल रहा था| शायद अब आगे बयान या ... की आवश्यकता नहीं थी| ... 

बाहर निकल लालपरी माँ से लिपट रो पड़ी थी| माँ जन्मते ही तूने मुझे संखिया (जहर) दे दिया होता ,ये दिन न देखने पड़ते, ... तू कहती हैं न कि गरीब मजलूम की बेटी का कोई सगा नहीं ..... अब कौन किसको क्या देगा ... शायद तारीखें बताएंगी ... दो दिन बाद अखबारों में खबर थी ... बेटी संग माँ-बाप गंगा-नहर में डूब मरे, ... अभी तक कारण पता नहीं चल सका है|


(लेखक परिचय: - प्रवीण कुमार (केसरी) B.Com., L. L. B., MARD (Advocate) जिला संयोजक, झारखण्ड आन्दोलनकारी मंच, गढ़वा)