युवा कवि डॉ. सुनील जोगी जी की एक बड़ी लोकप्रिय हास्य- कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ.
कवि सम्मलेन का आनंद लीजिये - - -
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
तुम एम.ए. फर्स्ट डिवीजन हो
मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये
तुम फौजी अफसर की बेटी
मैं तो किसान का बेटा हूं
तुम रबडी खीर मलाई हो
मैं तो सत्तू सपरेटा हूं
तुम ए.सी. घर में रहती हो
मैं पेड. के नीचे लेटा हूं
तुम नई मारूति लगती हो
मैं स्कूटर लम्ब्रेटा हूं
इस तरह अगर हम छुप छुप कर
आपस में प्यार बढाएंगे
तो एक रोज तेरे डैडी
अमरीश पुरी बन जाएंगे
कवि सम्मलेन का आनंद लीजिये - - -
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
तुम एम.ए. फर्स्ट डिवीजन हो
मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये
तुम फौजी अफसर की बेटी
मैं तो किसान का बेटा हूं
तुम रबडी खीर मलाई हो
मैं तो सत्तू सपरेटा हूं
तुम ए.सी. घर में रहती हो
मैं पेड. के नीचे लेटा हूं
तुम नई मारूति लगती हो
मैं स्कूटर लम्ब्रेटा हूं
इस तरह अगर हम छुप छुप कर
आपस में प्यार बढाएंगे
तो एक रोज तेरे डैडी
अमरीश पुरी बन जाएंगे