इस बार 26 जनवरी सन्डे(रविवार) को है सभी इस बात से दुखी है कि एक छुट्टी ख़राब हो गयी! ये जब भी सन्डे को पड़ती है ऐसा ही माहोल बन जाता है पर जब भी ये सन्डे पड़ती है मुझे मेरे बचपन कि घटना याद आती है जनवरी 1997, तब मै 5th क्लास में था शायद मेरी गिनती चंद होशियार बच्चो में से होती थी और मै अपनी क्लास का मॉनिटर हुआ करता था यानि जो बात मै बोलू वो सब मानते थे उस साल भी 26 जनवरी रविवार को थी यूँ तो 26 जनवरी और 15 अगस्त का इंतज़ार पुरे साल किया करते थे हम सभी पर इस बार भ्रम का माहोल बन गया क्युकी रविवार का मतलब तो छुट्टी होता है अब ऐसे में 26 जनवरी कब मनायी जायेगी? मिठाई कब मिलेगी? और हमें झंडा लेके कब आना होगा? और सबसे ज्यादा दुःख इस बाद का था कि उस दिन अगर स्कूल आगए तो कृष्णा कैसे देखेंगे?(उस समय टी. वी पर श्री कृष्णा बड़ा पॉपुलर था)|
इसी सवाल का जवाब तलाश करते मेरे क्लास के स्टूडेंट्स मेरे पास आये क्युकी मै मॉनिटर था. हालाँकि जवाब तो मै भी तलाश रहा था पर अब बात बढ़ गयी थी और अगर मै टीचर से पूछता तो मेरी साख कम हो जाती मुझे तो ये दिखाना था कि मै सब जानकारी रखता हु और तुम लोग सही जगह आये हो तो मैंने भी अपनी तर्क शक्ति का इस्तमाल करते हुए कहा- रविवार के दिन तो छुट्टी होती है उस दिन तो परीक्षाएं भी नहीं होती फिर 26 जनुअरी कैसे मनायी जायेगी स्कूल में? वो तो अब दूसरे दिन यानि सोमवार को मनायी जायेगी काफी तर्क वितर्क और चर्चा के बाद ये तय हो गया कि कल यानि रविवार को हम लोग कृष्णा देखेंगे और 26 जनवरी अगले दिन यानि सोमवार को मनाएंगे |