2014

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December 22, 2014

कथित दुश्मनो को नहीं अपनों को ही मारता है आतंकवाद

इस्लामी आतंकवाद जिन्हें अपना शिकार बनाता है, वे अमीर पश्चिमी देशों के लोग नहीं हैं, बल्कि वे मुस्लिम देशों के ही गरीब हैं। यह वह सबसे बड़ा सच है, जो हमें बताता है कि जेहादियों के दावे कितने गलत हैं। वे जिन आम लोगों, आदमियों और औरतों की हिमायत की बात करते हैं, उन्हें ही सबसे बड़ी संख्या में मारते हैं।

पश्चिमी देशों में आतंकवादी वारदात को लेकर जो सुर्खियां बनती हैं, वे उन आंकड़ों से निकलती हैं, जो बताते हैं कि आतंकवाद बढ़ रहा है, ज्यादा से ज्यादा लोग इसकी वजह से अपनी जान से हाथ धो रहे हैं।

लेकिन असल सच इस ब्योरे में छिपा है कि जो मारे जा रहे हैं, वे कौन हैं?

यूँ तो आतंकवादी हमले लंदन, न्यूयॉर्क, मैड्रिड,सिडनी वगैरह में भी हो चुके हैं। लेकिन पेशावर के स्कूल में जो तालिबानी हमला हुआ, उसमें 141 लोग मारे गए, जिनमें 132 स्कूली बच्चे थे। यह घटना हमें बताती है कि मजहब के नाम पर गुमराह कुछ लोगों की करतूत की कितनी बड़ी कीमत मुस्लिम देश चुका रहे हैं।

नेशनल कंसोर्टियम फॉर द स्टडी ऑफ टेररिज्म ऐंड रिस्पांस। यह मेरीलैंड यूनिवर्सिटी में एक संस्था है जो ग्लोबल टेररिज्म डाटाबेस तैयार करती है। इसके डाटा के अनुसार, वर्ष 2011 में इनकी संख्या 5,000 थी, जो 2012 में 8,000 हो गई और इसके अगले वर्ष यानि 2013 में बढ़कर 12,000 हो गई। लेकिन ये आंकड़े अपने आप में पूरी कहानी नहीं हैं। अगर हम पश्चिमी देशों के बाहर देखें, तो ये आंकड़े कुछ भी नहीं हैं।

जब आतंक से जंगकी बात की जाती है, तो यह सिर्फ एक नारा होता है, ये असल जंग नहीं है। लेकिन इसका जो शिकार बन रहे हैं, वे असल लोग हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा दुनिया भर के मुसलमान हैं, जो भारी संख्या में मारे जा रहे हैं। दुनिया के किसी भी दूसरे मुल्क के मुकाबले पाकिस्तान ने इस जंग में सबसे ज्यादा लोग खोए हैं।

पेशावर में इस सप्ताह हुए हमले के बाद पाकिस्तान के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह कौन-सा रास्ता अपनाएगा। आतंकवाद के खिलाफ इस मुल्क का सबसे बड़ा हथियार गोलियां नहीं हैं, बल्कि शिक्षा है। सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसकी लड़कियां और लड़के स्कूलों में पढ़ने के लिए जाएं।

ब्रिटिश पत्रकार, बेन दोहर्ती का एक लेख पढ़ा मैंने जिसमे उन्होंने अपनी पाकिस्तान यात्रा का जिक्र किया था उन्होंने लिखा -

पाकिस्तान की स्वात घाटी में मैं दो साल पहले एक स्कूल में गया था, जिसका संचालन वहां की फौज कर रही थी। इस स्कूल का नाम था- सबाऊन। उर्दू भाषा में इसका अर्थ हुआ सुबह की पहली किरण। यह स्कूल उन बच्चों का था, जो कभी आत्मघाती हमलावर थे। यहां हरी और सफेद धारियों वाली वरदी में वे बच्चे चुपचाप बैठे हुए थे, जिनका अपहरण करके तालिबान ने कभी ब्रेनवाश किया था। बाद में वे या तो पकड़ लिए गए या फिर उन्हें पहाड़ में आतंकवादी ठिकानों से मुक्त कराया गया था। इनमें से कुछ हथियार चला चुके थे और कुछ तो हत्याएं भी कर चुके थे।

मैं जिस 15 साल के एक लड़के से मिला, सर्दी की एक सुबह आतंकवादियों ने उसकी कमर में शक्तिशाली बम बांध दिए थे। उसे अच्छी तरह से समझा दिया गया था कि पुलिस चौकी पर पहुंचकर कौन-सी दो तारों को आपस में जोड़ देना है। उन्होंने उसे पुलिस चौकी के पास छोड़ दिया और कहा कि धीरे-धीरे उनकी तरफ चला जाए। तभी एक अफसर की नजर इस लड़के पर पड़ गई, जो डर से बुरी तरह कांप रहा था। और फिर जो हुआ, उसमें यह बच्चा इस स्कूल में पहुंच गया।

स्कूल का इंचार्ज फौजी वरदी से सज्जित एक मेजर था। मैंने उससे पूछा, इस उग्रवाद का असली कारण क्या है? आखिर क्या वजह है कि ये बच्चे मजहब की एक गलत व्याख्या के चलते लोगों को जान से मारने के लिए राजी हो जाते हैं? यह जानते हुए भी कि उनकी कमर में जो बम बंधे हैं, वे खुद उन्हें भी मार डालेंगे?

उसका जवाब था- गरीबी, इसकी वजह उनकी गरीबी और जहालत है। उसने बताया कि जो बच्चे स्कूलों में हैं, वे बड़े होकर सुसाइड बॉम्बर नहीं बनते। वे नौजवान, जिनके पास अच्छी नौकरियां हैं, वे पहाड़ में तालिबान का साथ देने के लिए नहीं जाते। लड़कियां पढ़ती हैं, तो पूरे परिवार की गरीबी खत्म हो जाती है। पढ़ी-लिखी औरतें अपने बच्चों को उग्रवादी नहीं बनने देतीं।"


आतंकवाद से जंग इसी राह पर चलकर जीती जाएगी। और इसका फायदा पूरी दुनिया को मिलेगा।

November 27, 2014

बॉस को खुश रखने के लाजवाब तरीके, Great Way to Keep the Boss Happy

तरक्की की राह में आपकी प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन के साथ ही जो चीज सबसे अहम है,  वो है अपने सीनियर यानी बॉस को सदा खुश रखने का हुनर। इसके लिए आपको चमचागिरी नहीं,  बल्कि ऑफिस के सही तौर-तरीके आने चाहिए। यहां दिए जा रहे पांच टिप्स को अपना कर आप वर्कप्लेस पर अपनी पकड़ मजबूत बना सकते हैं। 


सीखिए समय प्रबंधन
काम पूरा करने से ज्यादा जरूरी है काम को समय पर या समय से पहले पूरा करना। दिमाग पर जोर लगा कर देखिए,  उस वक्त आपके दिलो-दिमाग पर क्या बीतती है,  जब तय समय के भीतर आपको कोई विशेष प्रोजेक्ट ऑफिस में देना हो और आपकी कैब निर्धारित समय से लेट हो जाए। ऐसे वक्त में आपकी तिलमिलाहट बढ़ जाती है।

आप भले ही ड्राइवर को कुछ न कहें,  लेकिन दिन भर उसे समय पर न आने के लिए कोसते तो रहते ही हैं। ठीक ऐसा ही आपके बॉस के साथ भी होता है,  जब आप तय समय पर प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाते। इसलिए बॉस की नजर में अपनी अच्छी छवि बनाए रखने के लिए समय पर काम पूरा करने की आदत डालें। ये तभी संभव है,  जब आपने ऑफिस के निर्धारित समय से थोड़ा पहले पहुंचने की आदत विकसित कर ली हो। टाइम मैनेजमेंट के लिए एक बात और बहुत अहम है,  और वह है स्मार्ट तरीके से काम करना। आप अपने दोस्तों खासतौर से ऑफिस के सहकर्मियों से किसी दूसरे सहकर्मी के बारे में सुनते होंगे कि फलां कर्मचारी बुद्धिमान नहीं है,  लेकिन स्मार्ट तरीके से काम करता है। क्या ये बात सही हो सकती है?  इस बारे में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के कृपाशंकर पाण्डेय कहते हैं, ‘बगैर ज्ञान के कोई व्यक्ति स्मार्ट नहीं बन सकता। कुछ समय तक तो वो व्यक्ति सामने वाले को चकमा दे सकता है,  लेकिन बात वर्कप्लेस की हो तो ऐसा होना संभव नहीं है। स्मार्टनेस वहीं आती है,  जहां बुद्धिमत्ता होती है।’

प्रोफेशनल होना जरूरी 
ध्यान रखिए कि आप किसी नए ऑफिस में पहुंचने वाले हैं तो वहां के बारे में पहले से ही जानकारी हासिल कर लें। यकीन मानिए,  ये आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। आप अपने प्रोफेशन और समसामयिक चीजों से जितने ज्यादा अपडेट रहेंगे,  वर्कप्लेस पर आपको उतनी ही मजबूती मिलेगी। यहां अपडेट रहने का मतलब पॉजिटिव जानकारी से है,  न कि बॉस और उसके आसपास के लोगों के पर्सनल मैटर को जानने में ली गई दिलचस्पी से। वर्कप्लेस के लिए आपका शिष्ट होना आवश्यक है। वर्कप्लेस पर क्या करना है,  ये जानना जितना जरूरी है,  उससे कहीं ज्यादा ये जानना जरूरी है कि आपको क्या नहीं करना है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है सहकर्मियों के साथ बेवजह की गॉसिप से बचना। अगर आप ये समझते हैं कि बॉस के साथ बैठ कर ज्यादा देर तक बातचीत करना आपको उनके करीब लाता है तो आपका ये सोचना बिल्कुल गलत है। कोई भी बॉस अपने सहकर्मियों से अच्छे आउटपुट की उम्मीद करता है,  न कि लफ्फाजी की।

पहनावा भी हो आकर्षक
किसी को प्रभावित करने के लिए शुरुआती 30 सेकेंड ही मायने रखते हैं। इसलिए इस बात को पक्का कर लीजिए कि आप सामने वाले के आगे अपना बेस्ट ही प्रदर्शित कर रहे हैं। पहनावा क्या हो,  ये निश्चित करते समय इस बात को प्रमुखता देनी चाहिए कि आपके बॉस या सहकर्मी वर्कप्लेस पर आपकी ड्रेस से असहज महसूस न करें। साथ ही कोशिश करें कि आपकी ड्रेस फॉर्मल और साफ-सुथरी हो। छोटे व सलीके से रखे गए बाल वर्कप्लेस के लिए सबसे मुफीद हैं। ऐसी महिलाएं,  जिनके चेहरे पर हार्मोन्स की वजह से बालों की अधिकता हो जाती है,  उन्हें ये ध्यान रखना चाहिए कि इससे आपके सहकर्मी आपके बारे में नेगेटिव सोच बना सकते हैं,  मसलन आप खुद का ध्यान ठीक से नहीं रखतीं तो काम-काज क्या संभालेंगी। इसलिए खुद को सुव्यवस्थित रखना वर्कप्लेस की प्रमुख मांग है। कपड़ों का रंग ऐसा न चुनें कि हर कोई आपको ही नोटिस करता रहे। अत्यधिक चुस्त कपड़े पहनने से बचें। साथ ही आप अपने लिए जिस सम्मान की इच्छा रखते हैं,  वैसा ही सामने वाले को भी दें।

तहजीब 
तहजीब यानी कि एटिकेट्स,  ये वो सामान्य सी चीज है,  जिसे अपना कर आप वर्कप्लेस पर छा सकते हैं। बस इसके लिए आपको ध्यान रखना है कि आप ऐसा कोई व्यवहार न करें,  जिससे सार्वजनिक स्थल पर आपकी बेइज्जती हो। सौम्य व मृदुभाषी बनें। दूसरों के बारे में शिकायती रवैया न अपनाएं। इन दोनों बातों को अपना कर निश्चित रूप से आप लोगों की प्रशंसा के पात्र बनेंगे। आसपास के लोगों का सम्मान करना और उनके साथ सहृदयता से पेश आना आपकी छवि को निखारता है। अपने धार्मिक और राजनीतिक विचारों को वर्कप्लेस पर सामान्य तरीके से रखें यानी इस पर जिरह करने से बचें।

प्रभावी संवाद
संवाद यानी कम्युनिकेशन बेहतर होना किसी भी कर्मचारी का सबसे प्रभावी पक्ष हो सकता है। फिर चाहे वो लिखित हो या मौखिक। आप अपने बॉस के साथ आइडिया शेयर करें और उनके आइडिया पर तार्किक प्रतिक्रिया दें। इसके जरिए आप अपने आपको बेहतर कर्मचारी साबित कर सकते हैं। सकारात्मक संवाद ऐसा तरीका है,  जिसके जरिए आप अपने सीनियर का भरोसा जीत सकते हैं।

बॉस सब जानते हैं..
एक अच्छा बॉस ये अच्छी तरह जानता है कि कौन सा कर्मचारी चापलूस है और कौन सा मेहनतकश। अगर आपने अपने हुनर से बॉस को ये जता दिया कि आप न सिर्फ मेहनतकश हैं,  बल्कि उनके लिए उपयोगी भी हैं तो तरक्की की राह के रोड़े खुद ब खुद हटते चले जाएंगे।

November 15, 2014

ये 5 चीजें कभी पोस्‍ट न करें फेसबुक पर - 5 things you should never post on facebook

आज के दौर में सोशल नेटवर्किंग के मामले में फेसबुक का कोई सानी नहीं है . अगर आप इस वक्‍त अपना स्‍टेटस अपडेट नहीं कर रहे होंगे तो आप या तो फोटो अपलोड कर रहे होंगे या फेसबुक पर किसी अजीब से क्विज में भाग ले रहे होंगे. जाने-अनजाने हम अपने बारे में ऐसी कई निजी जानकारियां फेसबुक पर साझा करने लगे हैं जिनके बारे में आमतौर पर हम किसी से जिक्र तक करना पसंद नहीं करते. हम सोचते हैं कि अगर हमने अपनी प्राइवेसी सेटिंग्‍स सही से सेट की हैं तो चिंता करने की कोई बात नहीं और खुद को अपने फ्रेंड सर्किल के बीच पूरी तरह महफूज समझने लगते हैं.

असल परेशानी इस बात की है कि हमें कभी ये पता ही नहीं चलता है कि फेसबुक पर कौन हमारे बारे में पढ़ रहा है या जानकारी जुटा रहा है. हो सकता है कि हमारा कोई दोस्‍त ऐसी एप्‍लीकेशन डाउनलोड कर लेता है जिससे उसका एकाउंट हैक हो जाए. यह भी हो सकता है कि हमारा दोस्‍त लॉगआउट करना भूल जाए और उसके कोई अंकल या जानकार उसके एकाउंट का इस्‍तेमाल करने लगे. ऐसे में अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए आपको इन पांच चीजों को फेसबुक पर कभी पोस्‍ट नहीं करना चाहिए:

(1) अपने और अपने परिवार की पूरी बर्थडेट: बर्थडे के दिन अपनी फेसबुक वॉल पर "हैप्‍पी बर्थडे" मैसेज पढ़कर हम सबको बेहद खुशी होती है. यही वजह है कि हम में से ज्‍यादातर लोग अपने जन्‍मदिन की तारीख फेसबुक पर जरूर मेंशन करते हैं, लेकिन ऐसा करते वक्‍त हम ये भूल जाते हैं कि हम चोरों को अपने बारे में बेहद निजी जानकरी दे रहे हैं. वैसे हमें बर्थ डेट मेंशन करने से बचना चाहिए, लेकिन फिर भी अगर आप ऐसा करना ही चाहते हैं तो कम से कम से बर्थ ईयर के बारे में कोई जानकारी न दें. वैसे भी जो आपके सच्‍चे और पक्‍के दोस्‍त होंगे उन्‍हें आपके बर्थडे के बारे में मालूम ही होगा.

(2) रिलेशनशिप स्‍टेटस: चाहे आप रिलेशन में हों या न हों, उसे सार्वजनिक रूप से जाहिर न करने में ही अक्‍लमंदी है. अगर आप अपना स्‍टेटस कमिटेड से सिंगल करते हैं तो उन लोगों को मौका मिल जाता है जो काफी समय से आपके पीछे पड़े हुए थे. इससे उन्‍हें यह भी पता चल जाता है कि अब आप ज्‍यादातर समय अकेले रहती हैं. ऐसे में बेहतर यही रहेगा कि अपने प्रोफाइल में रिलेशनशिप स्‍टेटस को ब्‍लैंक ही छोड़ दिया जाए.

(3) करंट लोकेशन: ऐसे कई लोग हैं जिन्‍हें फेसबुक पर लोकेशन टैग करना बहुत अच्‍छा लगता है ताकि वे बता सकें कि 24 घंटे सातों दिन वे कहां रहते हैं. यानी कि आप खुलेआम इस बात का ऐलान करते फिर रहे हैं कि आप छुट्टियों पर हैं (और आपके घर में कोई नहीं है). इस पर अगर आप ये भी बता दें कि आप कितने दिनों के लिए बाहर गए हैं तो चोरों का काम आसान हो जाता है और वे आसानी से आपके घर पर हाथ साफ करने की साजिश रच लेते हैं. अच्‍छा यह रहेगा कि छुट्टियों से वापिस आने पर आप फोटो अपलोड कर अपने दोस्‍तों को जताएं कि जब वो काम कर रहे थे तब आप घूमने, खाने-पीने और शॉपिंग में बिज़ी थे.

(4) घर पर अकेले हैं तो रखें खास एहतियात: पेरेंट्स को इस बात का खास ध्‍यान रखना चाहिए कि जब उनके बच्‍चे घर पर अकेले हों तब न तो खुद और न ही बच्‍चे इस बारे में अपने-अपने फेसबुक एकाउंट पर कुछ लिखें. वैसे भी जब आप घर पर अकेले होते हैं तब खुद किसी अजनबी के घर जाकर उसे इस बारे में जानकारी नहीं देते हैं तो फेसबुक पर भी ऐसा न करें.

हमें लगता है कि सिर्फ हमारे दोस्‍त ही हमारा स्‍टेटस पढ रहे हैं, लेकिन असल में हमें पता ही नहीं होता है कि कौन-कौन उसे पढ़ रहा है. हो सकता है कि आपके दोस्‍त का एकाउंट हैक हो गया हो या दफ्तर में उसके पीछे खड़े होकर कोई चुपके से आपके स्‍टेटस को पढ़ रहा हो. सबसे अच्‍छा तरीका यही है कि आप फेसबुक पर ऐसा कोई स्‍टेटस अपलोड न करें जिसे आप किसी अजनबी से कभी शेयर नहीं करेंगे.

(5) बच्‍चों की तस्‍वीरें उनके नाम से टैग न करें: हम अपने बच्‍चों से बेहद प्‍यार करते हैं. उन्‍हें महफूज रखने के लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं, लेकिन ज्‍यादातर लोग अपने बच्‍चों की ढेर सारी फोटो और वीडियो बिना सोचे-समझे टैग कर देते हैं. यही नहीं कई बार तो हम उनकी फोटो को ही अपनी प्रोफाइल पिक्‍चर बना लेते हैं. 10 में से नौ पेरेंट्स ऐसे हैं जो डिलीवरी के बाद अस्‍पताल में रहते हुए ही अपने बच्‍चों का पूरा नाम और डेट तथा टाइम फेसबुक पर पोस्‍ट कर देते हैं.

हम अपने बच्‍चों की फोटो पोस्‍ट करने के साथ ही उन्‍हें और उनके दोस्‍तों को अपने भाई-बहनों, कजिन्‍स और दूसरे रिश्‍तेदारों के साथ टैग कर देते हैं. इस जानकारी का इस्‍तेमाल बदमाश आपके बच्‍चे को बहलाने के लिए कर सकते हैं. आपके बच्‍चों का विश्‍वास जीतने के लिए वे उन्‍हें नाम से बुलाने के साथ ही उनके दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों का नाम भी ले सकते हैं ताकि उन्‍हें यकीन हो जाए कि वो अजनबी नहीं हैं. इस तरह वे धीरे-धीरे बच्‍चों के दिल में अपनी जगह बना लेते हैं और फिर अपने नापाक इरादों को अंजाम देते हैं.

अगर आप अपने बच्‍चों की तस्‍वीरें अपलोड भी कर रहे हैं तो उनका पूरा नाम और डेट ऑफ बर्थ की जानकारी देने से बचें. वैसे ज्‍यादा फोटो अपलोड करने की जरूरत ही क्‍या है.

आखिर में अपने दोस्‍तों या रिश्‍तेदारों के बच्‍चों को टैग करने से पहले दो बार सोचें. हो सकता है कि ऊपर दिए गए कारणों की वजह से वे यह चाहते ही न हो कि आप उनके बच्‍चों की फोटो को टैग करें. बेहतर होगा कि आप उन्‍हें फोटो ईमेल कर दें और अगर उनकी मर्जी होगी तो वो खुद ही उन्‍हें टैग कर देंगे.

नोट: ऐसी और जानकारियो के लिए पढ़ते रहे "एक गुल्लक" या फिर आप अपनी पोस्ट यहाँ प्रकाशित करने के लिए हमें भेज सकते है..

November 07, 2014

बिना मफलर क्या करेंगे?

दिल्ली में देर से चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी चाहे बीजेपी की कितनी खिंचाई क्यों न कर लें मगर इसमें दो राय नहीं कि इस देरी का सबसे ज्यादा फायदा ‘आप’ और केजरीवाल को ही होगा। ये सोचकर ही आउट ऑफ सिलेबस सवाल देखने वाले बच्चे की तरह मेरा सिर चकरा जाता है कि दिसंबर—जनवरी के बजाए दिल्ली चुनाव गर्मी में हो गए होते तो केजरीवाल बिना मफलर रैलियां करते कैसे लगते। गर्मी में जब कभी उन्हें बिना मफलर के देखा तो लगा किसी ने उनकी ताकत छीन ली है। वो वैसे ही लगे जैसे ‘लम्हे’ में बिना मूंछ के अनिल कपूर।

मफलर इस हद तक उनकी जान और पहचान बन चुका है कि कुछ लोगों का कहना है कि अगर वे एक साथ दो सीटों से चुनाव लड़ना चाहें तो एक सीट से अपनी जगह मफलर को चुनाव लड़वा सकते हैं। बीजेपी को रत्तीभर भी अंदाज नहीं था कि जिन केजरीवाल को फ्रस्ट्रेट करने के लिए वो चुनाव लटका रही है, वही लटके केजरीवाल ठंड आते—आते मफलर का दामन थाम लेंगे। आम आदमी पार्टी केजरीवाल को कितना भी विश्वसनीय चेहरा क्यों न मानें मगर जून में चुनाव होते तो शायद बिना मफलर उन्हें कोई पहचानता तक नहीं। खुद उन्होंने पासपोर्ट में बर्थ मार्क में निशानी के रूप में मफलर लिखवा रखा है और जेब में वोटर आईडी कार्ड की जगह भयकंर गर्मियों में भी वो मफलर साथ रखते हैं।

वे अपने मफलर से वही आत्मविश्वास पाते हैं जो नरेंद्र मोदी को अपनी नेहरू जैकेट से मिलता है। मेरा मानना है कि मोदी का दाहिना हाथ अमित शाह नहीं, उनकी जैकेट है। खबरें यहां तक है कि दिल्ली में केजरीवाल के मुकाबले बीजेपी मोदी जी की जैकेट को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है।

कपड़े किसी भी इंसान का तकिया कलाम, उसका हैल्पिंग वर्ब होते हैं। इसे छीन लें तो वह लटपटाने लगता है। राहुल बाबा का एंगरी यंग मैन का रूप निकलकर सामने आए इसके लिए जम्रूरी नहीं है कि उन्हें दी गई स्क्रिप्ट अच्छी हो, बल्कि शर्त ये है कि उन्होंने फुल स्लीव का कुर्ता पहना हो ताकि बोलते—बोलते वो बाहें ऊपर चढ़कर गु्स्सा दिखा सकें।




(लेखक परिचय: -  नीरज बधवार सक्रिय साहित्यकार एवं आलोचक)

September 29, 2014

शराब पीने के फायदे भी है... Benefits of Drink

(व्यंग को व्यंग की तरह ही पढ़े दिल पे न लें)
यूँ तो शराब इंसान को गलत काम करने को उकसाता है किन्तु सिक्के का दूसरा पहलु ये है शराब व्यक्ति की नैसर्गिक प्रतिभा को बाहर निकलने का काम भी करता है...

जैसे--

1: कोई अच्छा डांसर है, लेकिन अपनी शर्म की वजह से लोगो के सामने नहीं नाच पाता है ..। दो घूंट अन्दर जाते ही अपना ऐसा नृत्य पेश करता है  कि उसके सामने माइकल जैक्सन भी पानी न मांगे..
ऐसे कई उदहारण आपने शादी ब्याह के अवसर पर शराबियों को नृत्य करते हुए देखा होगा कोई नागिन बनकर जमीन में लोटता है तो कोई घूँघट डाल कर महिला नृत्य प्रस्तुत करता है !

2: शराब व्यक्ति के आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा देती है, दो घूंट अन्दर जाते ही चूहे की तरह डरने वाला डरपोक से डरपोक व्यक्ति भी शेर की तरह गुर्राने लगता है । शराब पीने के बाद कई पतियों को अपनी पत्नी के आगे गुर्राते हुए देखा गया है !

3 : शराब व्यक्ति को प्रकृति के करीब लाता है । दो घूंट अन्दर जाते ही शराबियो का प्रकृति प्रेम उभर कर सामने आ जाता है कई शराबी शराब का आनंद लेने के बाद ज़मीन, कीचड़, नाली, आदि प्राकृतिक जगहों पर विश्राम करते पाए जाते है !

4 : शराब व्यक्ति की भाषाई भिन्नता को कम कर देता है, जो लोग अंग्रेजी बोलना तो चाहते है लेकिन नहीं बोल पाते है अंग्रेजी बोलने में हिचकिचाहट महसूस करते है दो घूंट अन्दर जाते ही ऐसी धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलने लगता है कि बड़े से बड़ा अंगरेज़ भी शर्मा जाये । ऐसे कई लोगो से आपका पाला पड़ा होगा !

5 : शराब व्यक्ति को दिलदार बनाती है। कंजूस से कंजूस व्यक्ति भी दो घूंट अन्दर जाते ही किसी सल्तनत के बादशाह की तरह व्यवहार करने लगता है ऐसे लोगो के जेब में भले फूटी कौड़ी न हो लेकिन ये लोग ज़माने को खरीदने में पीछे नहीं हटते है !

"शराब के करीब आईये"
और इस महत्वपूर्ण जानकारी को हर शराबी तक पहुंचाइये ताकी वह भी गर्व महसूस करे ।

September 03, 2014

इमेज, PDF या स्कैन किये हुए फाइल्स को एडिट करना हुआ एकदम आसान.

दोस्तों मेरे कुछ पीडीएफ डॉक्यूमेंट पड़े थे जिसको एडिट करना था पर हो नहीं रहा था इस समस्या के समाधान को तलाशने के लिए मैंने ब्लॉग ब्लॉग का चक्कर लगाया और काफी मसक्कत के बाद आज बालेंदु शर्मा जी के लेख को पढ़ कर संतुस्टी मिली...

धन्यवाद शर्मा जी आपका..

अब इतनी अच्छी जानकारी गुल्लक के पाठको के साथ साझा न किया जाये ये तो संभव नहीं क्युकी गुल्लक तो है ही गुल्लक..

तो आईये नज़र डालते है की कैसे स्कैन किए गए दस्तावेजों को टेक्स्ट फॉर्मैट में बदल सकते है वो भी बिलकुल मुफ्त और बिना किसी सॉफ्टवेयर की सहायता से..

हम बता रहे हैं दो ऐसे तरीके, जिनसे आप स्कैन किए हार्ड कॉपी को सॉफ्ट कॉपी में बदल सकते हैं। गल की सुविधा सिर्फ अंग्रेजी तक सीमित नहीं है। यह करीब तीन दर्जन भाषाओं में उपलब्ध है, जिनमें हिंदी भी शामिल है। हालांकि हिंदी के इमेज-आधारित दस्तावेजों को कन्वर्ट करने पर हासिल होने वाले टेक्स्ट में बहुत गलतियां होती हैं। इसकी भारी प्रूफ रीडिंग करनी होगी। ऐसे में हिंदी में गूगल ड्राइव की ओसीआर सुविधा ज्यादा व्यावहारिक महसूस नहीं होती।

गूगल ड्राइव के अलावा कुछ और ओसीआर सॉफ्टवेयर हैं, जो हिंदी को ठीक-ठाक सपोर्ट करते हैं। इनमें वेब आधारित ओसीआर सर्विसेज भी शामिल हैं और कंप्यूटर में इन्स्टॉल होने वाले सॉफ्टवेयर भी।

www.i2ocr.com वेबसाइट दूसरी भाषाओं के साथ-साथ हिंदी टेक्स्ट रिकॉग्निशन की सुविधा भी देती है। यह पीडीएफ दस्तावेजों को नहीं पहचानती, इसलिए अपने दस्तावेज को स्कैन करने के बाद इमेज फाइल फॉर्मैट में सेव करें, जैसे jpg, bmp, png वगैरह। यह सुविधा फ्री में उपलब्ध है। IndSenz नाम की विदेशी कंपनी के डिवेलपर ओलिवर हेलविग की तरफ से विकसित IndSenz Hindi OCR सॉफ्टवेयर साधारण फॉर्मैटिंग वाले हिंदी टेक्स्ट के रिकॉग्निशन का काम बखूबी करता है, लेकिन यह फ्री नहीं है। आइए, देखते हैं ये दोनों सर्विसेज कैसे काम करती हैं :

वेब आधारित OCR

1. सबसे पहले www.i2ocr.com/free-online-hindi-ocr पर जाएं।

2. नीचे की तरफ, जहां Let's OCR लिखा है, वहां Step 1 के तहत आपकी स्कैन फाइल को अपलोड करने की सुविधा मौजूद है। अपलोड करने के लिए कंप्यूटर में मौजूद स्कैन इमेज फाइल को चुन लें।

3. अब वेबसाइट पर Step 2 पर नजर डालें। यहां Hindi भाषा चुनी हुई होनी चाहिए। नहीं है, तो हिंदी को सिलेक्ट कर लें।

4. अब Step 3 पर मौजूद Extract Text बटन दबाएं, जिससे आपकी फाइल के अपलोड होने और उसके भीतर मौजूद टेक्स्ट को पहचानने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

5. इसी वेब पेज पर दो बॉक्स खुल जाएंगे। इनमें से लेफ्ट वाले बॉक्स में टेक्स्ट दिखाई देगा। इस टेक्स्ट को कॉपी कर अपने कंप्यूटर में खुली हुई वर्ड फाइल में पेस्ट कर लें। अब जरूरत के लिहाज से एडिट कर लें।

6. आप देख सकते हैं कि सामान्य फॉर्मैटिंग वाले हिंदी टेक्स्ट का 90 फीसदी शुद्धता के साथ कन्वर्जन हो जाता है। अगर संबंधित इमेज फाइल आपके कंप्यूटर में नहीं बल्कि किसी वेबसाइट पर है तो यहां उसका वेब अड्रेस देकर सीधे टेक्स्ट कन्वर्जन मुमकिन है।

सॉफ्टवेयर के जरिए कन्वर्जन

इंडसेन्ज़ कंपनी की तरफ से विकसित हिंदी ओसीआर सॉफ्टवेयर को www.indsenz.com वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। इसे आजमाने के लिए फ्री वर्जन डाउनलोड किया जा सकता है, हालांकि वह सिर्फ सॉफ्टवेयर की क्षमताओं का प्रदर्शन भर करता है। फ्री वर्जन के जरिए इमेज फाइल से निकाला गया टेक्स्ट इस्तेमाल करना संभव नहीं है, क्योंकि इसे न तो फाइल की शक्ल में सेव किया जा सकता है और न ही कट-कॉपी-पेस्ट के जरिए ही सॉफ्टवेयर से बाहर ले जाया जा सकता है। बहरहाल, ट्रायल वर्जन अपनी क्षमताओं का बखूबी प्रदर्शन कर देता है। अगर आप इसका दफ्तर के काम-काज में नियमित रूप से इस्तेमाल करने के इच्छुक हैं तो आपको पेड वर्जन खरीदना होगा। इसके दो पेड वर्जन हैं। सामान्य वर्जन की कीमत करीब 12 हजार रुपए है, जबकि प्रफेशनल वर्जन करीब 16 हजार रुपए का पड़ेगा।

कैसे काम करता है

1. सबसे पहले indsenz.com से हिंदी ओसीआर सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर कंप्यूटर में इन्स्टॉल करें। अब सॉफ्टवेयर को लॉन्च करें।

2. इसके फाइल मेनू में Open Images पर क्लिक करें।

4. अब खुलने वाले डायलॉग बॉक्स में अपनी स्कैन फाइल को चुन लें। यहां इमेज के साथ-साथ पीडीएफ फाइल को भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

5. सॉफ्टवेयर के ऊपरी हिस्से में टूलबार में बने बटनों पर नजर डालें। यहां लेंस के आइकन वाले बटन पर माउस ले जाने पर Start the text recognition दिखाई देगा। इस बटन को क्लिक करे।

6. इससे इमेज फाइल में मौजूद टेक्स्ट को पहचानने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पहचाने गए टेक्स्ट को नीचे की ओर मौजूद बॉक्स में दिखाया जाएगा।

7. आप देख सकते हैं कि इस बॉक्स में माउस का कर्सर दिखाई दे रहा है और इस टेक्स्ट को सिलेक्ट करना मुमकिन है। जाहिर है, यह इमेज नहीं बल्कि टाइप किए हुए मैटर जैसा है।

June 06, 2014

बयान का दर्दनाक अंत - बलात्कार की घटनाओ पर एक विषेश लेख

गांव से आई दुष्कर्म की शिकार बाला- {लालपरी} ने सिर के आँचल को सम्हालते हुए शंसय भरा प्रश्न किया| मैडम बयान भी ले लो ……..स्टेमेंट भी ले लो| पर अब मैं स्टेमेंट देने लायक नहीं हूँ …….. सबने लिया स्टेमेंट किसी ने नहीं छोड़ा …….. जानवर बन गए …….. एक मजबूर इंसान के साथ, जांच के नाम पर …….. मुझे न्याय (इंसाफ)  देने के नाम पर …….. केवल और केवल स्टेटमेंट लेना होगा|

जज मैं समझी नहीं ? दस्तावेजों के मुताबिक तुम्हारा नाम लालपरी है न ? जज साहिबा ने चश्में को उतारते हुए तिरछे देखते पूछा | जी ! मैडम मेरा नाम लालपरी बापू का नाम भरत साह ,साकिम खारगुन, तहसील - बेणी थाना - मौना ,जिला-महबूब नगर | एक साँस में बोल गयी | हाँ सो तो ठीक है ,ये सब दस्तावेजों में है | 

लालपरी ! डरो नहीं अपना बयान कलमवद्ध कराओ .स्टेटमेंट दो , हम तुम्हारे साथ हैं जज साहिबा ने रहस्यमयी स्थिति को कुछ समझते हुए कहा| रेप पीड़िता, मुझे अब जहर दे दो ,फांसी दे दो ,अब मत लो स्टेमेंट| अब नहीं जीना चाहती| आप नहीं समझ सकती कि मेरे माँ-बापू पर क्या बीतती होगी ……..,मुझ पर क्या बीतती है| बापू रोता है कहता है अब कौन थामेगा मेरी लालपरी का हाथ| ये लगा कलंक कहाँ मिटेगा अब ...बिलबिला उठी थी मेज पर सिर रख कर लालपरी|

जज साहिबा ने सम्हालते हुए एक गिलास पानी देने को कहा और पानी पीते ही सच बताने का आग्रह किया| …….. मैडम जी! मेरे बापू ने माँ की दवाई के लिए गांव के ही हरी चंद से ब्याज पर पैसे लिए जो अभी चुकता नहीं हो सका है| आठ हजार चुकता करने के बाद भी उसका चार हजार,,चार साल में सोलह हजार हो गया| रोज पैसों के लिए धमकाता था| एक दिन माँ बापू खेत में थे,,शैतान ने मुझे अकेला देख मेरे साथ बुरा काम किया और कहीं कहने पर मुझे व मेरे माँ बापू को जान से मार देने की धमकी दे गया|

माँ के घर आने पर मैंने माँ से सारी आप बीती बताई| माँ सन्न रह गयी| माँ ने बापू को मेरी दास्तान बताई| मुझे ले माँ- बापू सरपंच के पास गए| जाँच और स्टेमेंट (बयान) जरुरी है, कह उसने अकेले एक कमरे में लेजा स्टेमेंट लिया| थाने पर वह हम लोगों को साथ ले गया, वहां मुंशी, दिवान से सरपंच ने कुछ बात किया और चला आया| थाने में मुंशी, दिवान व दरोगा ने स्टेमेंट लिया, तमाम शर्मनाक सवाल - जबाब करते रहे, इसे जाँच व कार्यवाही समझ हम चुप-चाप सहते रहे , कि न्याय मिलेगा ,दोषी को सजा मिलेगी|

हद तब हो गयी अस्पताल गए वहां भी कम्पाउण्डर व डाक्टर ने स्टेमेंट लिया| कैसे -कैसे जाँच किया बताना मुश्किल। हम क्या करें कहाँ जाये| जो काम उस सूदखोर ने किया वही स्टेमेंट के नाम पर सभी ने किया ... | मैडम अब मेरी शरीर और आत्मा साथ नहीं देते .. .फफक कर रो पड़ी थी बाला लालपरी |

जज साहिबा के आँखो में नमीं थी, मौसम और माहौल बादल गया  था, बादल घिरे हुए थे, कब बरस जायेगें कहा नहीं जा सकता| . ..  मैडम ने अर्दली प्रेमसिंह को आवाज दी| जी हुजूर ! प्रेम सिंह अंदर दाखिल हुआ . ..  बाहर बैठे इनके माता-पिता को अंदर बुलाओ| जी अच्छा| प्रेम सिंह बाहर चला गया| अंदर मुंसफ गंभीर मुद्रा में और फरियादी हाथ जोड़े एक दूसरे को आशा भरी निगाह से देख रहे थे सभी चुप थे| मौन बोल रहा था| शायद अब आगे बयान या ... की आवश्यकता नहीं थी| ... 

बाहर निकल लालपरी माँ से लिपट रो पड़ी थी| माँ जन्मते ही तूने मुझे संखिया (जहर) दे दिया होता ,ये दिन न देखने पड़ते, ... तू कहती हैं न कि गरीब मजलूम की बेटी का कोई सगा नहीं ..... अब कौन किसको क्या देगा ... शायद तारीखें बताएंगी ... दो दिन बाद अखबारों में खबर थी ... बेटी संग माँ-बाप गंगा-नहर में डूब मरे, ... अभी तक कारण पता नहीं चल सका है|


(लेखक परिचय: - प्रवीण कुमार (केसरी) B.Com., L. L. B., MARD (Advocate) जिला संयोजक, झारखण्ड आन्दोलनकारी मंच, गढ़वा)

May 26, 2014

क्यों होते है प्रोफाइल हैक और कैसे बचे इससे?

इन दिनों इंटरनेट की सबसे बड़ी समस्या हैकिंग का है, अभी कुछ दिन पहले तकरीबन 2लाख फेसबुक यूजर इसके शिकार हुए है सिर्फ फेसबुक ही नहीं बल्कि जीमेल, गूगल लिंक्डइन के यूजर भी परेशान है इस समस्या से ज्यादातर फेसबुक यूजर की समस्या है कि या तो उनका अकाउंट किसी ने हैक कर लिया है या उनकी वॉल पर किसी ने कोई भी सामग्री (अश्लील फोटो या मैसेज) पोस्ट कर दी है जिससे फेसबुक फ्रेंड्स के सामने गलत इमेज बनती है।

किसका होता है अकॉउंट हैक?

अकाउंट हैक की कोशिश उन यूजर के साथ ज्यादा हो रही है जिन्हें कम्प्यूटर का बेसिक नॉलेज कम है या जो अपना पासवर्ड बदलते ही नहीं हैं। या फिर बिना सोचे समझे सभी मेल, मैसेज या लिंक को ओपन कर देते है जिसकी वजह से उनका पासवर्ड हैकर तक बड़े आसानी से पहोच जाता है या फिर ऐसे लोग वायरस के शिकार होते है |

इनसब से बचने के तरीके:
एक्सपर्ट मानते हैं कि आजकल इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग का चलन ज्यादा हो गया है। कोई भी व्यक्ति इंटरनेट न जानते हुए भी फेसबुक और अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट का उपयोग करने लगता है। ऐसे व्यक्तियों को बेसिक कम्प्यूटर नॉलेज होना बहुत जरूरी है उसके बाद ही उन्हें इंटरनेट का प्रयोग करना चाहिए।

अगर हम छोटी छोटी बातो का ध्यान रखते हुए इंटरनेट इस्तमाल करे तो हैकिंग की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है जैसे -
  • किसी दोस्तों की तरफ से मैसेज आता है तो उसे प़ढ़कर व समझकर ही क्लिक करें क्योंकि उसमें वायरस हो सकता है। यदि समझ नहीं आए तो उसे डिलीट कर दें। या फिर तुरंत ही उस व्यक्ति को सूचित करें जिसके अकाउंट से वॉल पर पोस्ट हुआ है।
  • ई-मेल पर कोई लिंक आती है तो उसे भी क्लिक न करें।
  • समय समय पर अपने पासवर्ड को बदलते रहे |
  • पासवर्ड हमेशा ऐसा चुने जिसका आसानी से अंदाजा न लगाया जा सके (नाम, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर इन सबको पासवर्ड बनाने से बचे)
  • अल्फान्यूमेरिक पासवर्ड स्पेशल करैक्टर (@, #, &, etc.) के साथ हमेशा अच्छा माना जाता है जैसे – Name@8756, Alpha#1234, eXample@9812, example&1254
  • फेसबुक एप्लीकेशन यूज कर रहे हैं तो पहले परमिशन मांगी जाती है यहां यह जान लें कि सामने वाला क्या-क्या जानकारी हमारी प्रोफाइल से ले सकता है।
  • यदि सामने वाला यूजर डिटेल में जानकारी लेता है तो उस एप्लीकेशन को यूज करने से बचें।
  • यदि आप फेसबुक वॉल पर कोई ऐसा फोटो देखते हैं जो गलत है या अच्छा नहीं है तो आप उस फोटो और मैसेज को रिपोर्ट एब्यूस पर क्लिक कर दीजिए। यदि फेसबुक टीम को लगेगा कि इस फोटो और मैसेज को ज्यादा लोग एब्यूज मार्क कर रहे हैं तो वे इन्हें हटा देते हैं।
  • यदि किसी व्यक्ति का आईडी हैक हुआ है और हैकर उसकी प्रोफाइल का मिस यूज कर रहा है तो तुरंत ही पुलिस थाना और सायबर सेल के ऑफिस में शिकायत दर्ज करें।
  • फेसबुक यूजर प्रायवेसी सेटिंग एनेबल करें ताकि आप अपने प्रायवेट नेटवर्क मजबूत बना सकें ताकि कोई भी अनजान व्यक्ति आपकी वॉल पर पोस्ट न कर पाए और न ही आपने जो पोस्ट किया है वह देख पाए।


“गुल्लक कामना करता है की आपका अकॉउंट हैक न हो”

May 09, 2014

Funny Interview - Honest answers to Interview Questions.


Q1. Why did you apply for this job? 
A.  I have applied for many jobs along with this and you called me now. 

Q2. Why do you want to work for this company? 
A.  I have to work for some company who ever gives me a job, I don't have any specific company in mind. 

Q3. Why should I hire you? 
A.  You have to hire some one, you may give me a try. 

Q4. What would you do if this happened? 
A.  Well, it depends my mindset and mood at that situation.

Q5. What is your biggest strength? 
A.  Basically, daring to join any company who pays me well, without thinking of the fate of company.

Q6. What is your biggest weakness? 
A.   Girls.

Q7. What was your worst mistake, and how did you learn from it? 
A.  Joining my earlier company and learnt that I need to jump to get more money, so I am here today.

May 08, 2014

काहे से कि हम गाजीपुरिया है (Proud to be Ghazipurions)

गाज़ीपुरिया होने पर हमें गर्व है
काहे की-
हमलोग के यहाँ idiot नहीं "बकलोल"होता है।।

हमलोग कटने पे बोरोलीन लगाते हैं,क्यूंकि
Dettol से "परपराने" लगता है।।

हमलोग जान से नहीं ना मारते हैं
"मार के मुआ देते हैं"।।

हमलोग गला दबाते नहीं
"नट्टी टीप देते हैं"।।

हमलोग awesome काम नहीं करते
"गर्दा उड़ा देते हैं"।।

हमलोग tension में नहीं आते बस
"हदस" जाते हैं।।

हमलोग का bad day नहीं होता बस
"जत्रा खराब होता है"।।

हमलोग का कपड़ा धोया नहीं
"फिंचा" जाता है।।

हमलोग ताकत नहीं
"बरियारी" दिखाते हैं।।

हमारे लिए train चलती नहीं
"खुल" जाती है।।

हमलोग show off नहीं
"सुखल फुटानी" करते हैं।।

हमारे यहाँ कोई uncivilized नहीं होता
बस "चुहाड़"कहलाता है।।

हम कम् - प- टीसन (competition) नहीं करते 
काहे की "हमसे कोई जीत सकेगा नहीं" !!


नोट: ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश का एक प्रषिद्ध जिला है जो बनारस का पड़ोसी है

लेखक परिचय:
यह रचना हमारे मित्र विनीत त्रिपाठी जी ने भेजी है जो ग़ाज़ीपुर जिले के निवासी है, जिसे हमने अपने मेहमान पोस्ट (Guest Post) शृंखला में प्रकाशित किया है.

April 24, 2014

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्‍यार नहीं है खेल प्रिये

युवा कवि डॉ. सुनील जोगी जी की एक बड़ी लोकप्रिय हास्य- कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ.
कवि सम्मलेन का आनंद लीजिये - - -

मुश्किल है अपना मेल प्रिये
ये प्‍यार नहीं है खेल प्रिये
तुम एम.ए. फर्स्‍ट डिवीजन हो
मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये
तुम फौजी अफसर की बेटी
मैं तो किसान का बेटा हूं
तुम रबडी खीर मलाई हो
मैं तो सत्‍तू सपरेटा हूं
तुम ए.सी. घर में रहती हो
मैं पेड. के नीचे लेटा हूं
तुम नई मारूति लगती हो
मैं स्‍कूटर लम्‍ब्रेटा हूं
इस तरह अगर हम छुप छुप कर
आपस में प्‍यार बढाएंगे
तो एक रोज तेरे डैडी
अमरीश पुरी बन जाएंगे

March 24, 2014

लड़की नहीं लड़का बेचारा पराया हो गया

एक लड़के की शादी हो गई और कल का लड़का आज पति बन गया..

कल तक मौज करता, हर एक पर comment कसने वाला लड़का, अब किसी का रखवाला बन गया...

कल तक अंडरवियर पर पूरे घर में घूमने वाला लड़का,आज नाईट सूट : पहन कर बेडरूम में जाना सीख गया...

रोज मजे से पैसे खर्च करने वाला लड़का आज साग-सब्जी का भाव करना सीख गया..

कल तक FULL SPEED में बाइक चलाने वाला लड़का,आज BIKE के पीछे बैठालकर हौले हौले चलाना सीख गया
... 
कल तक तो तीन टाईम फुल खाना खाने वाला लड़का आज अपने ही घर में खाना बनाने में मदद:..करना सीख गया...

February 18, 2014

यादों कि गुल्लक में मधुशाला

आज गूगल ने होस्टल के दिन याद दिल दिए जब काशी पुस्तक मेला से मधुशाला खरीद के लाये थे हम|

शुरू के 1-2 दिन तो समय नहीं मिला पढने का लेकिन जब थोडा - थोडा पढ़ना शुरू किये तो मधुशाला अपने नाम के जैसे ही काम करने लगी धीरे धीरे नशे कि तरह चढ़ने लगी |
फिर लगा कि दायरा बढ़ाना चाहिए इसका अकेले पढ़ने में मजा नहीं है साहित्य प्रेमियो की महफ़िल बनायीं जाये और माहोल भी तब असली रंग जमेगा (हालाँकि मिले 1-2 ही) और तब होगी असली श्रद्धांजलि इसके लेखक को|

पहले तो हम सिर्फ 2 लोग ही (रूम मेट) पढ़ते थे, लेकिन दिन - ब - दिन संख्या बढ़ने लगी और अब हमारे ही रूम में महफ़िल सजने लगी, आलम ये हो गया कि अब हमें अपनी ही खरीदी किताब पढ़ने के लिए उसे रूम-रूम में जाके तलाशना पड़ता था कि आज कहा बैठक लगी है मधुशाला की|
उन दिनों फ़िल्मी गीतो से ज्यादा मधुशाला की पंक्तिया जुबान पे चढ़ी रहती थी हमारे, मोबाइल में SMS भी ही किया करते थे मधुशाला की पंक्तिया|

पेट काट के 65रु. खर्च किये थे ये सोच के कि 'ये अमिताभ बच्चन के पिताजी हरिवंश राय जी कि लिखी किताब है, लेकिन पढने के बाद सोच बदल गयी लगा कि अमिताभ जी, हरिवंश राय जी के बेटे है|'

अब वो दिन तो गुजर गए लेकिन मधुशाला की ये पंक्तिया उनकी याद जरुर दिलाती रहती है...


मधुशाला

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१।

प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।।२।

January 29, 2014

इसबार 26 जनवरी संडे को नहीं मंडे को मनायी जायेगी

इस बार 26 जनवरी सन्डे(रविवार) को है सभी इस बात से दुखी है कि एक छुट्टी ख़राब हो गयी! ये जब भी सन्डे को पड़ती है ऐसा ही माहोल बन जाता है पर जब भी ये सन्डे पड़ती है मुझे मेरे बचपन कि घटना याद आती है जनवरी 1997, तब मै 5th क्लास में था शायद मेरी गिनती चंद होशियार बच्चो में से होती थी और मै अपनी क्लास का मॉनिटर हुआ करता था यानि जो बात मै बोलू वो सब मानते थे उस साल भी 26 जनवरी रविवार को थी यूँ तो 26 जनवरी और 15 अगस्त का इंतज़ार पुरे साल किया करते थे हम सभी पर इस बार भ्रम का माहोल बन गया क्युकी रविवार का मतलब तो छुट्टी होता है अब ऐसे में 26 जनवरी कब मनायी जायेगी? मिठाई कब मिलेगी? और हमें झंडा लेके कब आना होगा? और सबसे ज्यादा दुःख इस बाद का था कि उस दिन अगर स्कूल आगए तो कृष्णा कैसे देखेंगे?(उस समय टी. वी पर श्री कृष्णा बड़ा पॉपुलर था)|

इसी सवाल का जवाब तलाश करते मेरे क्लास के स्टूडेंट्स मेरे पास आये क्युकी मै मॉनिटर था. हालाँकि जवाब तो मै भी तलाश रहा था पर अब बात बढ़ गयी थी और अगर मै टीचर से पूछता तो मेरी साख कम हो जाती मुझे तो ये दिखाना था कि मै सब जानकारी रखता हु और तुम लोग सही जगह आये हो तो मैंने भी अपनी तर्क शक्ति का इस्तमाल करते हुए कहा- रविवार के दिन तो छुट्टी होती है उस दिन तो परीक्षाएं भी नहीं होती फिर 26 जनुअरी कैसे मनायी जायेगी स्कूल में? वो तो अब दूसरे दिन यानि सोमवार को मनायी जायेगी काफी तर्क वितर्क और चर्चा के बाद ये तय हो गया कि कल यानि रविवार को हम लोग कृष्णा देखेंगे और 26 जनवरी अगले दिन यानि सोमवार को मनाएंगे |

January 14, 2014

मकर संक्रांति क्या है?

गुल्लक की ओर से अपने सभी पाठको को मकर संक्रांति (खिचड़ी) की शुभकामनाये जिस प्रकार तिल और गुड़ के मिलने से मीठे-मीठे लड्डू बनते हैं उसी प्रकार विविध रंगों के साथ जिंदगी में भी खुशियों की मिठास बनी रहे। जीवन में नित नई ऊर्जा का संचार हो और पतंग की तरह ही सभी सफलता के शिखर तक पहुंचे।

मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है जिसे सम्पूर्ण भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। आज देश भर में मकर संक्रांति की  धूम है तो हमने भी सोचा चलो पड़ताल किया जाये कि क्या है ये संक्रांति? और क्या महत्व है इसका? क्यों ये हर साल जनवरी को ही मनायी जाती है?