October 2013

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October 25, 2013

मेरी यादों में मन्ना डे - a sweet memory from childhood

आज मन्ना डे के निधन कि खबर पढ़ते ही मन 15 साल पीछे चला गया |
बात उस ज़माने की है जब करीब 10-11 साल का था उन दिनों फिल्म देखने का एक मात्र साधन दूरदर्शन हुआ करता था और गाने सुनने के लिए रेडिओ उसी दौरान मैंने फिल्म देखि पड़ोसन और मै महमूद साहब का मुरीद हो गया खास तौर पे उनके गाये गाने "एक चत्तुरनार" बेहद पसंद था जब भी रंगोली या चित्रहार में ये गाना आता तो मै मिस नही करना चाहता था, कुछ ही दिनों बाद मैंने फिल्म आनंद का गाना "जिंदगी कैसी है पहेली हाये" देखा तो सोचा की राजेश खन्ना और महमूद की आवाज कितनी मिलती जुलती है|
बातों बातों में जब ये बात मैंने अपने नानाजी के सामने कह दीया तब उन्होंने मुझे बताया कि असल में ये लोग सिर्फ होंठ हिलाते इसके पीछे आवाज किसी और की होती है जिसे गायक कहा जाता है और इन गानों को जिसने गया है वो है - 
"मन्ना डे" फिर उन्होंने मुझे इनके 2 - 4 गाने और दिखाए जो अलग अलग हीरो पे फिल्माए गये थे और थोडा बहुत अपनी जानकारी के अनुसार उन्होंने मुझे 'मन्ना डे जी' के बारे में बताया|

उस दिन मुझे 2 बाते पता चली कि परदे पर हीरो सिर्फ होंठ हिलाते है और जितने भी सुरीले अच्छे गाने है उनको मन्ना डे गाते है|
हलाकि आगे चल के मेरा ये भ्रम टूट गया लेकिन फिर भी मन्ना डे साहब के लिए दिल सॉफ्ट जगह हमेशा रही, उनकी खासियत थी कि वो कभी किसी हीरो कि आवाज नही बने उन्होंने कभी एक्टर के नहीं लिए बल्कि उसके द्वारा निभाए जाने वाले किरदार के लिए गाया इसीलिए उनकी आवाज सभी पर फिट बैठ जाती थी |

यह बहुत दुख की घड़ी तो जरूर है कि वो अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन मन्ना डे एक भरी-पूरी उम्र जी कर गए और हमारी भारतीय परंपरा है कि जो इंसान सब कुछ देख कर जाता है, उसके जाने का अफसोस नहीं मनाया जाता। फिर मन्ना डे तो इतना कुछ हासिल किया कि कोई एक जन्म में इतना कुछ पा ही नहीं सकता। नेशनल अवार्ड, पद्म भूषण, दादा साहब फाल्के अवार्ड और भी न जाने क्या-क्या। लोग उन्हें मिस करेंगे, फिल्म इंडस्ट्री भी उन्हें मिस करेगी लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे जेहन में रहेंगी। जो गाने वह गा गए वह कभी भी भुलाए नहीं जा सकेंगे और उनकी आवाज जब भी गूंजेगी वह सुकून ही देगी।

October 22, 2013

आवश्यकता है एक गर्ल फ्रेंड की.

पद : जूनियर गर्लफ्रेंड/ सहायक प्रेमिका
अनुभव : कम से कम दो लडको की गर्ल फ्रेंड रह
चुकी हो, तथा गर्ल फ्रेंड के
सभी दायित्वों में पारंगत हो !
(अगर अन्य अहर्ताये पूरी हो तो फ्रेशेर/ कम
अनुभव वाली पर भी विचार किया का सकता है )

आयु : 18-25 वर्ष (अगर कोई लड़की/महिला दीखने
में अच्छी है , और ज्यादा उम्र होने के
वावजूद इसी उम्र की लगती हो , तो वह अप्लाई
कर सकती है)

लाभ तथा मानदेय :- सकल मासिक (Gross Monthly)

• 1 उपहार प्रति महिना (अधिकतम मूल्य Rs 1000)
– (कोई मूल्यवान धातु जैसे सोना,
चांदी या बहुमूल्य रत्न जैसे
हीरा इत्यादि की अपेक्षा न रखे)

• लक्ज़री बाइक में मुफ्त सवारी , (अधिकतम १
घंटा प्रतिदिन).

• कुल्फी / आइसक्रीम/ चोकलेट , प्रतिदिन

• प्रतिदिन Rs 50-100 के समकक्ष मुफ्त
नाश्ता जैसे समोसा / ब्रेड पकोड़ा इत्यादि

• मुफ्त मूवी (ऊपर कोने वाली सीट पर ) हर
रविवार !

• महीने में एक बार मुफ्त ‘’ब्रांडेड जीन्स /
टी-शर्ट ‘’ अथवा ‘’स्कर्ट / टॉप ‘’
अथवा ‘’डिज़ाइनर परिधान’’ पसंदानुसार (लेकिन
पिछले महीने का आचरण संतोष जनक होने पर
ही यह सुविधा उपलब्ध है )

• मिस्ड कॉल मरने के लिए , फ़ोन चालू रखने
हेतु Rs 100 का रिचार्ज प्रति महिना !
प्रतिवर्ष एक नवीनतम स्मार्ट फ़ोन , जैसे
IPHONE या Galaxy S4 , दिया जायेगा, तथा ऊपर
लिखी सभी सुविधाए अनलिमिटेड रूप से
प्राप्त होंगी!
स्थायी होने के बाद वर्ष में दो बार
हीरा या सोना के जवाहरात दिए जायेंगे !

जो लडकियाँ इस ऑफर के लिए अपने
आपको उपयुक्त नहीं मानती है ,
उन्हें मन छोटा करने की कोई जरूरत नहीं है !
वो ‘’Suggest a friend” सुविधा का लाभ उठा कर
अपनी सहेलियों को Suggest कर सकती है।

प्रत्येक सफल उन्हें फाइव स्टार होटल में लंच
अथवा कैंडल लाइट डिनर , उपहार /
कृतज्ञता स्वरुप कराया जायेगा !
कृपया इस विज्ञापन के पांच दिनों के अन्दर
अपना बायो-.
डाटा के साथ आवेदन करे !
(बिना फोटो कोई आवेदन स्वीकार
नहीं किया जायेगा)

नोट-हमारी कोई शाखा नही...

October 09, 2013

रोटी दोगी क्या?

एक घर के सामने सडक बन रही थी,
गरीब मजदूरिन वहाँ काम कर रही थी.

मजदूरिन के घर का सारा बोझ उसी पर पडा था,
उसका नन्हा सा बच्चा साथ ही खडा था.

उसके घर के सारे बर्तन सूखे थे,
दो दिन से उसके बच्चे भूखे थे.

बच्चे की निगाह सामने के बँगले पर पडी,
देखी, घर की मालकिन, हाथ मे रोटी लिये खडी.

बच्चे ने कातर दृष्टि मालकिन की तरफ डाली,
लेकिन मालकिन ने रोटी, पालतू कुत्ते की तरफ उछाली.
कुत्ते ने सूँघकर रोटी वहीं छोड दी,
और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड दी!

कुत्ते का ध्यान नही रोटी की तरफ जरा था,
शायद उसका पेट पूरा भरा था!

ये देख कर बच्चा गया माँ के पास,
भूखे मन मे रोटी की लिये आस.

बोला- माँ! क्या रोटी मै उठा लूँ?
तू जो कहे तो वो मै खा लूँ?

माँ ने पहले तो बच्चे को मना किया,
बाद मे मन मे ये खयाल किया कि-

कुत्ता अगर भौंका तो मालिक उसे दूसरी रोटी दे देगा,
मगर मेरा बच्चा रोया तो उसकी कौन सुनेगा?

माँ के मन मे खूब हुई कशमकश,
लेकिन बच्चे की भूख के आगे वो थी बेबस.

माँ ने जैसे ही हाँ मे सिर हिलाया,
बच्चे ने दरवाजे की जाली मे हाथ घुसाया.

बच्चे ने डर से अपनी आँखों को भींचा,
और धीरे से रोटी को अपनी तरफ खींचा!

कुत्ता ये देखकर बिल्कुल नही चौंका!
चुपचाप देखता रहा! जरा भी नही भौंका!!

कुछ मनुष्यों ने तो बेची सारी अपनी हया है,
लेकिन कुत्ते के मन मे अब भी शेष दया है..!!
—————

कितनी अजीब बात है कि हम अपने मित्रों और रिश्तेदारों को ( जिनके पेट पूरे भरे होते हैं और जो प्लेट मे रखा नाश्ता जूठा करके छोड देते हैं या चाय मे जरा सी चीनी कम या ज्यादा होने पर मीन मेख निकालते हैं!) बुला बुला कर खिलाते हैं लेकिन किसी गरीब को देते वक्त हमे तुरन्त ये खयाल आता है कि दो दिन मुफ्त मे खा लेगा तो इसे आदत हो जायेगी.

October 04, 2013

घाटों का शहर बनारस

विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बनारस जिसके बारे में कहा जाता है कि - 
"सांड, सीढ़ी, सन्यासी, यहाँ विराजे बाबा विश्वनाथ अविनाशी"

बनारस का नाम वाराणसी कब और कैसे पड़ा ये तो पता नही लेकिन मेरा अनुमान है वरुणा और अस्सी को मिलाके इसका नाम वाराणसी रखा गया होगा क्युकि घाटो का शहर बनारस में घाटो कि गिनती वरुणा से अस्सी तक ही होती है जो लगभग 100 के आस पास है |यु तो हर घाट का अपना महत्व, अपनी परम्परा अलग अलग है पर कुछ चीज़े एक समान ही है जैसे -

सीढियों पे बैठे 'सांड बाबा' मंत्री आये या बम्म फूटे सांड बाबा टस से मस नही होते उनकी जब मर्जी होगी तभी रास्ता देंगे, आप उनके उपर से गुजर जाये कोई फर्क नही बस वो मूड में न हो तो..

उन्ही के बगल में ध्यान लगाये बैठे संन्यासी महाराज ऐसे बैठे मिलेंगे जैसे परमात्मा स्वयं इनसे मिलने आने ही वाले है रस्ते में देर हो रही होगी, भभूती, योग, ध्यान देखकर आप भ्रमित हो सकते है कि "कही मै हिमालय में तो नहीं!!"

और अपनी उम्र से अधिक भाषाओ के जानकार बच्चे जो दिखने में मैले कुचले लेकिन तजुर्बा और खुद पर भरोसा इतना कि मिटटी को सोना बताकर बेच दे और बड़े बड़े मार्केटिंग मेनेजर उनके पैर छू के वापस आजाये |

एक अलग ही दुनिया बसी है घाटो के किनारे जो सारी दुनिया से अलग ही लगती है जिसको जितना समझने कि कोशिश करो उतना उलझ जाती है |
प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों(लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है, और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"

वाराणसी में अस्सी घाट से लेकर वरुणा घाट तक सभी घाटों सूची इस प्रकार से है:


  • अस्सी घाट
  • गंगामहल घाट
  • रीवां घाट
  • तुलसी घाट
  • भदैनी घाट
  • जानकी घाट
  • माता आनंदमयी घाट
  • जैन घाट
  • पंचकोट घाट
  • प्रभु घाट
  • चेतसिंह घाट
  • अखाड़ा घाट
  • निरंजनी घाट
  • निर्वाणी घाट
  • शिवाला घाट
  • गुलरिया घाट
  • दण्डी घाट
  • हनुमान घाट
  • प्राचीन हनुमान घाट
  • मैसूर घाट
  • हरिश्चंद्र घाट
  • लाली घाट
  • विजयानरम् घाट
  • केदार घाट
  • चौकी घाट
  • क्षेमेश्वर घाट
  • मानसरोवर घाट
  • नारद घाट
  • राजा घाट
  • गंगा महल घाट
  • पाण्डेय घाट
  • दिगपतिया घाट
  • चौसट्टी घाट
  • राणा महल घाट
  • दरभंगा घाट
  • मुंशी घाट
  • अहिल्याबाई घाट
  • शीतला घाट
  • प्रयाग घाट
  • दशाश्वमेघ घाट
  • राजेन्द्र प्रसाद घाट
  • मानमंदिर घाट
  • त्रिपुरा भैरवी घाट
  • मीरघाट घाट
  • ललिता घाट
  • मणिकर्णिका घाट
  • सिंधिया घाट
  • संकठा घाट
  • गंगामहल घाट
  • भोंसलो घाट
  • गणेश घाट
  • रामघाट घाट
  • जटार घाट
  • ग्वालियर घाट
  • बालाजी घाट
  • पंचगंगा घाट
  • दुर्गा घाट
  • ब्रह्मा घाट
  • बूँदी परकोटा घाट
  • शीतला घाट
  • लाल घाट
  • गाय घाट
  • बद्री नारायण घाट
  • त्रिलोचन घाट
  • नंदेश्वर घाट
  • तेलिया- नाला घाट
  • नया घाट
  • प्रह्मलाद घाट
  • रानी घाट
  • भैंसासुर घाट
  • राजघाट
  • आदिकेशव या वरुणा संगम घाट