July 2013

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July 08, 2013

अब आया जमाना ऑनलाइन ‘किस’ का

मित्रो बात है १ हफ्ते पहले की मेरे एक मित्र अभय ने १ लिंक दिया फेसबुक पर (kisses.burberry.com) और उसके बारे में जानना चाहा, खाफी खोज बीन के बाद जो जानकारी मिली बड़ी दिलचस्प थी इसीलिए मैंने सोचा क्यूना इसे गुल्लक के पाठको से भी शेयर किया जाये ताकि उनको भी पता चले जो नहीं जानते!!

एक जमाना था जब कबूतर के जरिए लव-लेटर भेजा जाता था फिर तकनीक विज्ञान की बदौलत फोन पर बातों का सिलसिला शुरू हुआ और फिर आवाज और लव लेटर की जगह ली एसएमएस और वेब कॉलिंग ने. इसके अलावा ई-मेल के जरिए अपनी दिल की भावनाओं को एक-दूसरे से साझा किया जाता था, लेकिन अब जब आए दिन कोई ना कोई नई तकनीक का विकास किया ही जा रहा है तो इस श्रेणी में एक और सुविधा जुड़ गई है जिसके अंतर्गत आप ई-मेल में अपने साथी के लिए किस भी भेज सकते हैं.

यह सब सुनकर आप हैरान तो होंगे और बहुत हद तक संभव है कि आपको हमारी बात पर विश्वास ना हो लेकिन सच यही है कि बरबेरी ने गूगल के साथ मिलकर एक ऐसा सॉफ्टवेयर निर्मित किया है जिसकी सहायता से अब आप अपनी ’किस’ से लव लेटर वाला लिफाफा चिपकाएंगे नहीं बल्कि उस लिफाफे के अंदर एक ‘किस’ पैक कर भेजेंगे.

इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आपको kisses.burberry.com पर लॉग इन करना है और quick Kisses के ऑप्शन का प्रयोग कर अपने चाहने वालों या प्रेमी-प्रेमिका या फिर जीवन साथी को ‘किस’ मेल कर सकते हैं. इतना ही नहीं बरबेरी (Burberry Kisses ) आपको होंठों का रंग चुनने का भी ऑप्शन मुहैया करवाता है. आप अपने होंठों के रंग और आकार का ‘किस’ अपने लवर को भेज सकते हैं. अपनी ‘किस’ के साथ आप एक पर्सनल मैसेज भी भेज सकते हैं.

अब आप सोच रहे होंगे कि इस पूरी प्रक्रिया में भूमिका तो सिर्फ बरबेरी की ही है इसमें गूगल का क्या काम. तो हम आपको बताते हैं कि Burberry Kisses के जरिए किस भेजने के साथ-साथ आप गूगल अर्थ  (Google Earth) और स्ट्रीट व्यू (Street View) तकनीक की मदद से यह भी आसानी से देख पाएंगे कि क्या आपका किस आपके साथी तक पहुंच पाया है. साथ ही यह ‘किस’ आपके साथी तक कैसे पहुंचता है, इसका पता भी आप बड़ी आसानी के साथ लगा सकते हैं.

अब इतने मजेदार फीचर के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद आप जरूर इसे ट्राई करना चाहेंगे. तो फिर देर किस बात की kisses.burberry.com  पर लॉग इन कीजिए और भेजिए अपने लवर को किस.

आप नीचे दी गई वीडियो के जरिए इस फीचर का प्रयोग कैसे किया जाए,यह भी सीख सकते हैं:

July 06, 2013

क्यों गिर रहा है रुपया? (Why Rupee Down)

भारत के रुपए का अमरीकी डॉलर के मुकाबले गिरना लगातार जारी है लेकिन क्या यह चिंता की बात है? अगर हाँ तो इसे संभालेगा कौन?

द हिन्दू अख़बार के कार्यकारी सम्पादक एम के वेणु दे रहे हैं कुछ अहम सवालों के जवाब -

रुपया गिर क्यों रहा है?
सीधे तौर पर बाज़ार का सिद्धांत है. साल 2008 में आई आर्थिक मंदी के बाद से अमरीका ने अपनी अर्थव्यवस्था को मदद देने के लिए एक अनुमान के मुताबिक़ बाज़ार में करीब दो खरब डॉलर डाले थे. यह रकम भारत, चीन सहित दुनिया भर की कई अर्थव्यवस्थाओं में लगी. अब अमरीका इसे वापस खींचने की बात कर रहा है. इसलिए भाव बढ़ रहे हैं और भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों की मुद्राएँ गिर रही हैं. यह प्याज के भाव की तरह है. ज़्यादा प्याज कम भाव, कम प्याज ज़्यादा भाव.

दूसरा कारण है कि भारत का आयात तेज़ी से बढ़ा है चाहे तेल हो या सोना. भारत का आयात, निर्यात की तुलना में बहुत बढ़ा है.

रूपए की यह गिरावट कहाँ तक जा सकती है?
यह अमरीका के रुख़ पर निर्भर करता है. अगर अमरीका डॉलर को आराम से खींचता है तो अन्य मुद्राएँ अपने आप को संभाल सकती हैं वरना इसमें और तेज़ी आएगी. दूसरा ऐसा लगता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक रुपए को और ज़्यादा गिरने नहीं देगा और अपने पास रखे डॉलर बेचकर रूपए को एक डॉलर के मुकाबले वापस 56 या 57 रुपए तक लाने की कोशिश करेगा.

क्या भारत सरकार को चिंतित होने की ज़रुरत है?
यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसकी वजह से सरकार के महंगाई नियंत्रित करने के सारे कदम प्रभावित होते हैं. भारत में जो आयात-निर्यात के अंतर से उपजा असंतुलन है उससे निपटने के लिए सालाना करीब सौ अरब डॉलर का विदेशी निवेश चाहिए जो अब तक हो ही जाता है. पिछले साल भी यह हुआ था और इस साल भी लगता है कि यह हो ही जाएगा.

रुपए के गिरने की वजह से क्लिक करें विदेशी निवेशक इससे भारत की ओर आकर्षित भी होते हैं.

मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के लिए इसका अर्थ?
मध्यम वर्ग के बहुत सारे बच्चे विदेश में पढ़ने जाते हैं. अगर फ़ीस में दस फ़ीसदी की भी बढ़ोत्तरी होती है तो उनके लिए यह बहुत बड़ा धक्का होगा.

दूसरी तरफ यह ग़रीब आदमी, निम्न मध्यम वर्गीय आदमी के लिए जीवन मुश्किल करेगा क्योंकि डीज़ल के दाम बढ़ेंगे तो उसका असर आटा दाल सब्ज़ी हर चीज़ पर होगा.

July 05, 2013

कौन कहता है फेसबुक इंटरनेट से ही चलता है?

आजकल आप हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन देखते होंगे और जो लोग महंगे-महंगे फोन रखना पसंद नहीं करते या फोन पर ज्यादा खर्च करना पसंद नहीं करते तो अभी तक आप फोन पर अलग-अलग एप्लिकेशन डाउनलोड नहीं कर पाते थे. जाहिर है आपके दोस्त और रिश्तेदार आपको अपनी फोन एप्लिकेशन से चिढ़ाते भी होंगे जो काफी हद तक आपको परेशान करता होगा. लेकिन अब आपको उनके चिढ़ाने से परेशान होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि अब वे लोग जो अभी भी सिंपल फोन पर ही विश्वास रखते हैं उनके लिए भी मजेदार एप्लिकेशन डाउनलोड करने की सुविधा उपलब्ध करवाई जाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया गया है.

उल्लेखनीय है कि इजराइल की एक कंपनी ने एक ऐसा तरीका ढूंढ़ निकाला है जो सिंपल फोनों में भी एप्लिकेशन डाउनलोड करने में आपकी सहायता कर सकता है. इजराइल की वास्को डी नामक कंपनी की इस तकनीक के अनुसार यूजर कंपनी के ही क्लाउड बेस्ड सिस्टम से एप्लिकेशन प्राप्त कर सकता है और उसके लिए किसी भी प्रकार की डाउनलोडिंग की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. जाहिर है यह सब सुनकर आप हैरान हो रहे होंगे लेकिन सच यही है कि एसएमएस की तरह काम करने वाले टेक्स्ट बेस्ड अनस्ट्रक्चर्ड सप्लिमेंटरी सर्विस डेटा का प्रयोग कर सिंपल फोन धारक ऐसा कर सकते हैं.

इस तकनीक को विकसित करने वाली वास्को डी कंपनी के सीईओ डोरोन मोटोस का यह कहना है कि आज की तरीख में 83 प्रतिशत लोग इंटरनेट का उपयोग करने में असमर्थ हैं और इसी की वजह से वह अपने जरूरी ईमेल भी समय से चेक नहीं कर पाते. डोरोन का कहना है कि इंडोनेशिया, ब्राजील आदि जैसे देशों को कंपनी अपना टार्गेट बनाकर चल रही है क्योंकि यहां अत्याधिक गरीबी होने के कारण वह स्मार्टफोन का उपयोग नहीं कर पाते और अपने-अपने कामों को पूरा करने के लिए उन्हें इंटरनेट पर जाकर पैसे खर्च करने पड़ते हैं.

इस सर्विस का उपयोग करने वाले लोग इस सर्विस की सहायता से फेसबुक, जीमेल आदि जैसी जरूरी और चर्चित एप्लिकेशन का लुत्फ उठा पाएंगे जो अभी तक सिर्फ स्मार्टफोन यूजर को ही मुहैया करवाई जाती रही है. इस सर्विस के साथ बस एक समस्या यह है कि इसकी मदद से आप उस तरह इंटरनेट नहीं चला सकते जिस तरह समार्टफोन यूजर चला सकता है लेकिन हां, एक एप्लिकेशन के जरिए आप किसी भी समय मेल चेक करने के लिए और दोस्तों से कनेक्ट रहने के लिए फेसबुक जैसी साइटों का उपयोग तो कर ही सकते हैं.