June 2013

Social Icons

June 20, 2013

देवलोक में अवतार चर्चा का कार्यक्रम

देवलोक में अगले अवतार की चर्चा हो रही है। किस देवता को अगले अवतार के रूप में भारत भूमि में भेजा जाये। रोज-रोज भारत भूमि से पुकार आ रही हैं। भक्त परेशान हैं।

एक देवता ने सुझाव दिया- अगला अवतार फ़िर वाराहावतार, मत्स्यावतार की तरह बाघावतार के रूप में होना चाहिये। इससे पृथ्वीलोक में बाघों की संख्या भी बढेगी और साथ में जंगल भी। पृथ्वीलोक में पर्यावरण की रक्षा होगी।

यह सुनते ही उसके विरोधी देवता ने टोक दिया- मुझे पता है कि आप “बाघ बचाओ, पर्यावरण बचाओ” का अभियान चलाने वाली कंपनी को फ़ायदा पहुंचाने के लिये यह सुझाव दे रहे हैं। लेकिन आप अब देवलोक में हैं। पृथ्वीलोक वाली यह हरकतें छोड़ दीजिये। यहां निर्णय निष्पक्ष लिये जाते हैं। किसी लोभ-लालच में नहीं।

कई लोगों का कहना था कि अगला अवतार मनुष्य योनि में ही होना चाहिये। लेकिन बात इस बात पर अटक गयी कि अवतार किस जाति में हो। हर जाति का देवता अपनी जाति में अवतार के लिये झगड़ने लगा।

जातियों पर जब बात चली तो सुझाव आया कि अवतार का चुनाव जाति के आधार पर होना चाहिये। जिस जाति के लोग सबसे ज्यादा परेशान,बदहाल हों उस जाति में अवतार होना चाहिये। इसी बहाने जाति की हालत सुधर जायेगी। लेकिन लफ़ड़ा यह हुआ कि जातियों के बारे में देवलोक में पूरे आंकड़े नहीं थे।

अभी जाति के हिसाब से अवतार पर बहस चल ही रही थी कि एक देवता ने चिल्लाते हुये कहा- अगला अवतार जाति के हिसाब से नहीं वर्ग के हिसाब से तय होना चाहिये। जाति के हिसाब से अवतार चुने जाने का मैं कड़ा विरोध करता हूं।

कुछ देवियों ने एतराज किया अगले अवतार के लिये किसी देवता को नहीं किसी देवी को भेजा जाये. उन्होंने पृथ्वीलोक में स्त्रियों की बिगड़ते हाल के किस्से भी सुनाये।

उनके एतराज से सभी देवता सहमत थे लेकिन सबकी चिंता यही थी कि इस समय पृथ्वीलोक में हाल बड़े बेहाल हैं। देवी ने अगर अवतार लिया तो उसकी सुरक्षा का जिम्मा कौन लेगा।

देवियों ने एतराज किया कि पृथ्वीलोक में इत्ते सारे पुराने देवता पहले से ही मौजूद हैं. उनको देवी अवतार का जिम्मा सौपा जाये। देवी को ताकतें दी जायें।

इस पर कुछ देवताओं ने कहा कि पुराने देवता अगर अपना काम ठीक से करते तो पृथ्वी लोक के हाल इतने खराब क्यों होते? वे तो बस मंदिरों में बैठे हैं। चढ़ावा ले रहे हैं। जमीनों में कब्जा करवाने में बाहुबली भक्तों की सहायता कर रहे हैं। देवी को अवतार के रूप में भेजने का रिस्क नहीं लेना चाहिये। देवी अवतार के साथ कहीं कुछ ऊंच-नीच हो गयी तो इज्जत खराब होगी देवलोक की।

इतने में एक देवता जो कि पृथ्वीलोक की खबरों पर निगाह रखता था ने देवसभा को बताया – आपके अवतार की पृथ्वीलोक में कोई जरूरत नहीं है। वे अपना भला करने के लिये अपना अगला प्रधानमंत्री चुनने में लगे हैं।जैसे ही उन्होने अगला प्रधानमंत्री चुन लिया उनके सारे कष्ट खत्म हो जायेंगे। देवलोक के अवतार की वहां कोई आवश्यकता ही नहीं है।

लेकिन अगर प्रधानमंत्री चुने जाने पर भी उनके कष्ट न खतम हुये तो क्या होगा? हम अपने भक्तों को फ़िर क्या जबाब देंगे? – एक जिम्मेदार से देवता ने सवाल किया।

अगर कष्ट न दूर हुये तो वे अपना अगला प्रधानमंत्री फ़िर चुनेंगे...!!