August 2012

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August 25, 2012

एक मुलाकात देवर्षि नारद से:

मै घर ऑफिस के लिए निकला ही था तभी बारिश शुरू हो गयी और बस स्टॉप तक पहुचते- पहुचते पूरी तरह भीग गया फिर वापस घर आया कपडे बदले, बदन सुखाया और चल दिया, बस में बैठा अभी थोड़ी ही दूर पंहुचा की देखा सड़क ओलम्पिक में गोल्ड मेडल की तरह सुखी है बारिश की एक बूंद नहीं| मै सोचने लगा की अब मै ऑफिस में देरी का कारण क्या बताऊंगा??
मै कोई नेता या मंत्री तो हु नहीं कि बेवजह झूठ बोलता रहू और लोग यकीन कर ले और सच बोलूँगा तो कोई मानेगा नहीं, मनमोहन सिंह जी वाली मुद्रा में बैठा बिचारो में खोया ही था कि मेरी नज़र देवर्षि नारद मुनि पर पड़ी जो चुपचाप कही चले जा रहे थे मै उनके पास गया और पूछा - "महामुनि क्या आप सचमुच नारद मुनि है या उनके भेष में कोई भिखारी??"  
देवर्षि ने पूरी विनम्रता से उत्तर दिया -"नहीं वत्स मै नारद ही हु|" मेरे द्वारा उन्हें भिखारी कहे जाने पर भी वो विनम्र बने रहे जिससे मुझे विश्वास हो गया की ये देवर्षि ही है|  
लेकिन मन में शंका अभी भी थी तो पूछ लिया कि "मुनिवर जैसा कि मैंने अबतक देखा, सुना, पढ़ा है आप तो हमेशा नारायण - नारायण का जाप करते रहते है किन्तु प्रत्यक्ष तो ऐसा नहीं दिख रहा?"  देवर्षि अन्ना जैसे तेवर में आ गये बोले