July 2012

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July 21, 2012

इन्टरनेट ने बनाया हमे उत्पाद ख़त्म की प्राईवेसी

ek gullak aisha bhi


दोस्तो गुल्लक के इस पोस्ट में हम बात करेंगे कि किस तरह इन्टरनेट पर हमारी गोपनीयता का चीरहरण हो रहा है, यदि आप भी इन्टरनेट और ‘Social Sites’ का इस्तेमाल करते है तो इस पोस्ट को अवश्य पढ़े और आपने विचार व्यक्त करे|




कारोबारी दुनिया में एक कहावत है कि अगर आप किसी सर्विस का मुफ्त इस्तमाल कर रहे है तों समझ लीजिये कि उस कंपनी के लिए आप खुद एक उत्पाद है|”


२ साल पहले फेसबुक के C.E.O से पूछा गया की यदि आपको अपनी साईट में परिवर्तन करना हो तो क्या बदलाव करना पसंद करेंगे? तो उनका जवाब था की सबसे पहले मै इसमें से प्राईवेसी को विदा कर दूंगा|

बात चौकाने वाली जरुर है पर उन्होने वही कहा जो सच है, वैसे भी हम भारतीयो को परवाह नहीं होती की सेक्स के अलावा कोई बात गोपनीय रहे तभी तो हम स्वयं अपनी छोटी से छोटी जानकारी फेसबुक जैसी साईट पर अपडेट करते रहते है, फ़ोन पर आपसी बातचीत इतने ऊँचे स्वर में करते है क़ी आपका जो रहस्य कोई न जानना चाहे वो भी मुफ्त में लोगो के हाथ लाग जाती है