आजकल हमारे सांसद लामबंद है एक
ऐसे कार्टून को लेकर जो ६३साल पहले बना था और जिसे कार्टून के पितामह कहे जाने
वाले श्री केशव शंकर पिल्ले ने बनाया था वो केशव शंकर जिन्हे भारत सरकार न जाने
कितने सम्मानो से सम्मानित कर चुकी है| आज उन्ही के एक कार्टून को किताबो से हटवाने के लिए सारे
सांसद पिछे पड़े है और तर्क ये दे रहे है की इसमे दलित भावनाओ को चोट पह्ोची है
और बच्चो मे नेताओ के प्रति ग़लत संदेश जा रहा है|
मै भी उस कार्टून की तलाश मे कई दिनो से पत्र पत्रिकाओ
के पन्ने तलाश रहा था आख़िरकार मिल गया वो कार्टून जिसमे दिखाने की कोशिश की गयी
है की कैसे डा.अंबेडकर धीरे धीरे खिसक रहे संबिधान रूपी घोंघे पर बैठे चाबुक लगाकर उसे तेज़ चलाने का प्रयास कर रहे
है और नेहरू जी भी पिछे खड़े हो यही कर रहे है| ध्यान से देखने पर पता चलता है
की नेहरू जी चाबुक का वॉर अंबेडकर पर नही बल्कि घोंघे पर कर रहे है उनकी निगाहे
नीचे की ओर घोंघे पर है|