May 2012

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May 26, 2012

एक कार्टून पे उलझे सांसद


आजकल हमारे सांसद लामबंद है एक ऐसे कार्टून को लेकर जो ६३साल पहले बना था और जिसे कार्टून के पितामह कहे जाने वाले श्री केशव शंकर पिल्ले ने बनाया था वो केशव शंकर जिन्हे भारत सरकार न जाने कितने सम्मानो से सम्मानित कर चुकी है| आज उन्ही के एक कार्टून को किताबो से हटवाने के लिए सारे सांसद पिछे पड़े है  और तर्क ये दे रहे है की इसमे दलित भावनाओ को चोट पह्ोची है और बच्चो मे नेताओ के प्रति ग़लत संदेश जा रहा है
मै भी उस कार्टून की तलाश मे कई दिनो से पत्र पत्रिकाओ के पन्ने तलाश रहा था आख़िरकार मिल गया वो कार्टून जिसमे दिखाने की कोशिश की गयी है की कैसे डा.अंबेडकर धीरे धीरे खिसक रहे संबिधान रूपी घोंघे पर बैठे चाबुक लगाकर उसे तेज़ चलाने का प्रयास कर रहे है और नेहरू जी भी पिछे खड़े हो यही कर रहे है| ध्यान से देखने पर पता चलता है की नेहरू जी चाबुक का वॉर अंबेडकर पर नही बल्कि घोंघे पर कर रहे है उनकी निगाहे नीचे की ओर घोंघे पर है|

May 13, 2012

Mother's Day Special "मेरे पास माँ है"


आज मदर्स डे है तो सोचा माँ पर कुछ लिखू पर क्या? माँ कोई शब्दो मे समाने वाली तो है नही|
कहते है "ईश्वर हर जगह मौजूद नही रह सकता इसलिए उसने माँ बनाई" ये २००% सच भी क्यूकी माँ का दिल बच्चे का क्लास रूम होता जहा वो जिंदगी की पहली क्लास लेता है|

आज भले माँ, मम्मी से होते हुए ममा तक पहोच गयी हो पर माँ की ममता और प्यार मे कोई बदलाव नही आया, माँ की कोई उपमा हो ही नही सकती माँ क्युकि- उप..."माँ" नही होती|

बात करे अगर फिल्म की तो "मेरे पास माँ है" ये डायलॉग हम पिछले ३० सालो से सुनते और दोहराते आए है...