उत्सवों का शहर है बनारस, एक ऐसा शहर जहाँ मृत्यु को भी उत्सव की तरह मनाया जाता है| तभी तो वहाँ के लोग मय्यत को ढोल नगाडो के साथ शमशान तक पहुचने के बाद गोलघर के झुल्लन मिठाई वाले की दुकान से होते हुए घर जाते है| कमाल का है मेरा बनारस जिसे बस मौका मिलना चाहिए त्योहार मानने का फिर होली तो आख़िर होली है|
आज एक बार फिर होली मानने बनारस मे हूँ बनारस की होली मुझे हमेशा से पसंद रही है, यहाँ की होली की सबसे बड़ी खाशियत है की इसे सिर्फ़ हिंदू ही नही मुसलमान भी मानते है, काशी की प्राचीनतम होली बारात जिसे वहाँ के हिंदू मुस्लिम मिलकर निकालते है गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक बेमिशाल