"बस इसी
उम्मीद मे सदिया गुज़ार दी
हमने,
गुज़रे साल से शायद ये साल बेहतर हो"
गुज़रे साल से शायद ये साल बेहतर हो"
आज हर तरफ लोगो
मे जोश है की नये साल का स्वागत कैसे करें? हर कोई कुछ नया करना चाहता है
ऐसे जैसे अब ये साल आएगा तो फिर जाएगा ही नही? किसीके पास वक़्त नही की
गुज़रे साल के बारे मे बात करे उसे कोई नही याद करना चाहता जो हमारे साथ
365दिन रहा, जिसके साथ हमने जिंदगी के कई नये आयाम देखे, जिसने हमे
रुलाया, हासाया तो कभी सोचने को मजबुर किया |
2011 ने हमे बहुत कुछ दिया
इसी साल हमने क्रिकेट की बादशाहत हासिल की तो दूसरी ओर कामनवेल्थ गेम और
फार्मूला वन रेस को सफलता पूर्वक संपन्न करा के International Media मे छा
गये, इसी साल हमने देखा की बिना सिर, पैर की कहानी वाली फ़िल्मे अच्छे
प्रचार की वजह से सिर्फ़ सुपरहिट ही नही बल्कि अपने लागत का कई गुना अधिक
पैसा बटोर सकती है, बड़े पर्दे के साथ छोटा परदा भी खूब चर्चा मे रहा कभी
पूनम पांडे, कभी सन्नी लिओन तो कभी सुशील कुमार को लेके, सामाजिक परिद्रिश्य की बात अगर करे तो अभी तक सत्याग्रह, अनशन जैसे शब्दो को किताबों मे पढ़ने
वाली पीढ़ी ने 2011 मे न सिर्फ़ इन्हे समझा बल्कि उसका हिस्सा भी बने|
भारत दक्षिण एशिया का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र है, साल 2011 ने इसकी तस्दीक़
की| विदेशो से हमारे रिश्ते बहुत अच्छे बने अफ़ग़ानिस्तान ने भारत के साथ
कूटनीतिक साझेदारी की, 4-अक्टूबर-2011 तो ऐतिहासिक दिन रहा जब विदेशी फौज
अफ़ग़ानिस्तान से वापस जारहे थे और भारत-अफ़ग़ानिस्तान संधि पर दस्तख़त कर
रहे थे |
पिछ्ले 10 साल से आतंक का पर्याय बन चुके 'ओसामा बिन लादेन' जिसको पकड़ना मुस्किल ही नही नामुकिन सा था उसका अंत भी 2011 मे ही हुआ |
पिछ्ले 10 साल से आतंक का पर्याय बन चुके 'ओसामा बिन लादेन' जिसको पकड़ना मुस्किल ही नही नामुकिन सा था उसका अंत भी 2011 मे ही हुआ |
कहते है सुख और दुख का चोली दामन का साथ है दोनो एक दूसरे के बिन
अधूरे है ऐसी ही कुछ दुखद घटनाए जो साल 2011 के साथ है|
इसी साल 1 साल मे
भूकंप के 3से अधिक झटके आए, मुंबई,देल्ही मे आतंकवादी हमले(जो शायद आगे भी
होते ही रहेंगे) हुए, आम जनता महँगाई और भ्रस्टाचार से त्रस्त होके सड़क पर
उतर आई जिससे हमारे देश की छॅबी खराब हुई, भ्रस्टाचार के मामले सबसे अधिक
इसी साल सामने आए, कई मशहूर और चहेते लोग (सत्य साई बाबा, एम ऐफ हुसैन,
सम्मि कपूर, देव आनंद, जगजीत सिंह, श्री लाल शुक्ला, सत्यदेव दूबे, इंदिरा
गोस्वामी, भूपेन हजरिका, पटौदी) हमारा साथ छोड गये |
खैर जो बीत गया
वो कल था जो हमे बहुत कुछ सीखा गया जिंदगी का सच भी शायद यही है जो बीत
रहा है उसे भूलके उम्मीद का दामन पकड़े आगे बढ़ो, उसे कोई याद नही रखता जो
अतीत के पहलू मे रहता है इसलिए अगर हम चाहते है की लोग हमे अतीत समझ के
भुला न दें तो हमे बिना थके भविश्य के साथ चलना पड़ेगा |
तो चलिए इसी
उम्मीद के साथ हम नये साल का स्वागत करे की वो हमारे लिए नयी उपलब्धिया
लाएगा |
"गुल्लक के सभी
पाठको को नव वर्ष 2012 की हार्दिक शुभकामनाए"